जनपद पंचायत में जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी चरम पर होने से विकास एवं निर्माण संबंधित सभी दावे खोखले नजर आ रहे हैं। निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं है। अधिकारी निर्माण कार्यों का निरीक्षण करने का दावा तो करते हैं, लेकिन गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य इन्हें नजर नहीं आती। पंचायत स्तर पर चल रहे मनमाफिक कार्यों को देखने के बाद जनता शासकीय मुद्राकोष के दुरूपयोग को लेकर सवाल उठा रही है, लेकिन इसके बाद मिलने वाली मानसिक प्रताडऩा के आगे वे भी चुप्पी साधने में भलाई समझ रहे हैं।
विदित हो कि बलरामपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत 75 ग्राम पंचायत आते हैं। क्षेत्र में ऐसे कई निर्माण कार्य और शासन की योजनाएं चल रही हैं, जिसमें खुल कर मनमानी हो रही है। सरपंच सचिवों के खिलाफ कई शिकायतें जनपद पंचायत में पड़ी हुई हैं, जिस पर कार्रवाई के बजाए अधिकारियों की मेहरबानी सामने आ रही है। जिन पर आरोप लगे, उन्हें अधिकार प्रदत्त कर और भ्रष्टाचार करने की छूट दी जा रही है। जिस पंचायत सचिव पर कई गंभीर आरोप लगे, उन्हें दो-दो पंचायतों का प्रभार सौंप दिया गया है। यही हाल सरपंचों व अन्य मैदानी अमले का है। लोगों का कहना है इस जनपद क्षेत्र में केवल रसूखदारों की चलती है, नियम-कायदे कोई मायने नहीं रखते। कुछ ग्राम पंचायतों को छोड़ कर कोई भी ग्राम पंचायत ऐसा नहीं है जहां शत-प्रतिशत शासन की योजना का आम लोगों को लाभ मिल रहा हो। ग्राम पंचायतों में चल रहे निर्माण कार्यों के गुणवत्ता की सुध लेने वाला कोई नहीं है। जनपद पंचायत कार्यालय में दर्जनों शिकायत ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। आमजनों की उपेक्षा का परिदृश्य ही सामने आ रहा है। इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। शिकायत की जांच, सुनवाई और फैसला टेबल पर बैठे-बैठे कर निर्दोष साबित कर दिया जा रहा है। यदि किसी शिकायत पर सचिव के विरुद्ध कार्रवाई हुई भी तो उसका स्थानांतरण एक पंचायत से दूसरे पंचायत में कर दिया जाता है।
शिकायतकर्ता का नाम कर रहे सार्वजनिक
शिकायतकर्ता का नाम कायदे से गोपनीय रखने के बजाए सार्वजनिक कर दिया जाता है, जिससे उसके हुक्का-पानी बंद होने जैसी स्थिति बनती है। कहने का तात्पर्य शिकायत करने वाला शासन की योजनाओं से वंचित होने लगता है। पंचायत के कर्ता-धर्ता ही उसके दुश्मन बन जाते हैं। इस डर से लोग शिकायत करना छोड़ इनकी जी-हुजूरी करने में लग जाते हैं। पंचायतों में चहुंओर शिकायतकर्ताओं की चुप्पी और भ्रष्टाचारियों का बोलबाला होने से सभी विकास कार्य कागजी फाइलों में घोड़े की रफ्तार से बढ़ रहे हैं। मौके पर निर्माण कार्यों की गति कछुआ चाल पर है।
वीआईपी कुर्सी से चिपके जिम्मेदार
जनपद पंचायत बलरामपुर में मनमानी का आलम ऐसा है कि यहां के जिम्मेदार अधिकारी एक भी शासकीय विकास कार्य जनहित में पूरी ईमानदारी के साथ करने की मिसाल नहीं पेश कर सकते। दबे जुबां लोगों का कहना है ऐसा कब तक चलता रहेगा, आम जनता की कब सुनी जाएगी और सरकार की मंशानुरूप निर्माण, विकास कार्य कैसे होंगे। जनपद क्षेत्र के सभी कार्यों का वास्तविक मूल्यांकन करने वीआईपी कुर्सी से चिपके जिम्मेदारों को उठकर मैदानी स्तर तक पहुंचना होगा, अन्यथा इनकी चुप्पी जनपद क्षेत्र के पंचायतों को विनाश के कगार पर पहुंचा देगी। देखना यह है कि जिम्मेदार अधिकारी इन बातों को लेकर कितना गंभीर होते हैं।