मुकेश कुमार (आईबीएन 24न्यूज)
लखनपुर+सरगुजा +तकरीबन दो साल पहले पालतू गाय बैलों में फैले संक्रामक लम्पी बिमारी ने अनगिनत मवेशियों की जान ले ली थी। जिसकी त्रासदी आज भी क्षेत्र के पशुपालको को याद है। पशु संहार का भयानक नजारा था। गाय बैल बछड़ों की वक्त से पहले मौत हो गई थी। मौजूदा वक्त में एक बार फिर से यह बिमारी क्षेत्र में पांव पसारने लगा है। गाय बैलों में फैलने वाले इस ख़तरनाक बिमारी ने पशु पालकों के पेशानी पर चिंता की लकीर खींच दी है। यदि लक्षण की बात करें तो पहले पहल यह बिमारी गाय बैल बछड़ों के पैर में प्रभाव डालता है जिससे मवेशी के पांव में सूजन आ जाती है तथा गाय बैल बछड़े लंगड़ा कर चलने मजबूर हो जाते हैं मवेशियों के पूरे शरीर में गुठली नुमा चकते उभर आते हैं। मवेशी चारा पानी सेवन करना लगभग बंद कर देते हैं।बाद में यह चकतो में पानी भर जाता है तथा ज़ख्म बन जाता है। जिससे मवेशी की मौत तक हो जाती है।वैसे तो इस बिमारी का कोई माकूल ईलाज नहीं होने से किसान पशु पालक अपने गाय बैलों को लेकर काफी चिंतित हैं। लिहाजा इस रोग से मवेशियों को निजात दिलाने पशु विभाग हर संभव प्रयास कर रही है। साथ ही जिला प्रशासन ने इसके रोकथाम के लिए टीम गठित भी किये है। बाद इसके लम्पी नामक यह बिमारी मवेशियों में तेज़ी से फैलने लगी है। यह बात भी सामने आ रही है कि
ग्रामीण इलाकों में इसे माता समझ कर धूप-दीप पूजा अनुष्ठान के जरिए शांत करने की कोशिश पशुपालकों द्वारा किया जा रहा है। जबकि पशु विभाग इसे संक्रामक कीटाणुओं से फैलने वाली बिमारी मानते हुये गौशाला की साफ-सफाई एवं दवा छिड़काव कराने मश्विरा दे रही है।
बयान….
डाक्टर एस0 ए0 खान
का कहना है, क्षेत्र विशेष में ही नहीं अपितु पूरे प्रदेश में यह बिमारी कहीं कहीं मवेशियों में फैली हुई है और इस पर अंकुश लगाने विभाग द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है। मवेशियों में यदि ऐसी कोई लक्षण नजर आती है तो नजदीकी पशु-चिकित्सालय को सूचित करने की बात कही है।