Jashpur Assembly Election 2023 :- छत्तीसगढ़ के जशपुर में कभी बीजेपी की परंपरागत मानी जाने वाली सीट में इस बार मुकाबला जोरदार है. चुनाव प्रचार के दौरान सीट पर बीजेपी के दिग्गजों ने यहां हो रहे धर्मांतरण के खिलाफ भूपेश सरकार को कोसा और चुनाव का मुद्दा भी बनाया.इस सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला है।
जानकारी के मुताबिक, सरगुजा संभाग की सबसे अहम सीटों में एक जशपुर सीट है. जशपुर सीट पर 2018 से पहले बीजेपी का कब्जा हुआ करता था. 2018 में कांग्रेस की हवा चली और बीजेपी चारों खाने चित हो गई. कांग्रेस ने जशपुर सीट से इस बार विनय कुमार भगत को टिकट दिया. जवाब में बीजेपी ने भी रायमुनी भगत को मैदान में उतारा. जशपुर सीट पर उरांव जनजाति के लोगों की संख्या सबसे अधिक है. उरांव जनजाति के वोट जिस ओर जाते हैं उस ओर जीत का पलड़ा झुक जाता है।
जूदेव परिवार का सीट पर असर
ज्ञात हो कि, सरगुजा संभाग की कई ऐसी सीटें हैं जिसपर जूदेव परिवार का अच्छा खासा असर है. जशपुर सीट भी उन्ही सीटों में से एक है. 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान जूदेव परिवार की यहां नहीं चली और कांग्रेस ने यहां पर जीत हासिल की. हालाकि इस बार खुद जूदेव परिवार ने सीट पर प्रचार कर लोगों से बीजेपी को जिताने की अपील की. जूदेव परिवार की अपील का क्या असर होता है ये तो चुनाव के नतीजों से पता चलेगा।
धर्मांतरण बड़ा मुद्दा
बता दें कि, 2023 के विधानसभा चुनाव में इस बार धर्मांतरण बड़ा मुद्दा रहा. बीजेपी जहां धर्मांतरण को लेकर लगातार सरकार पर वार करती रही, वहीं राज्य सरकार ने कई मोर्चों पर ये कहा कि धर्मांतरण जैसी घटनाएं नहीं हुईं. कांग्रेस ने राज्य सरकार को बदनाम करने का भी आरोप चुनाव के दौरान बीजेपी पर मढ़ा. बीजेपी की ओर से चुनावी मोर्चा संभालने वाले दिग्गजों ने लगातार धर्मांतरण को लेकर सरकार के कठघरे में खड़ा किया. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह समेत सभी दिग्गजों ने धर्मांतरण के मुद्दे को चुनावी हथियार बनाया।
किसकी झोली में जाएगी जीत
फिलहाल, चुनाव के नतीजों से ये साफ हो जाएगा कि धर्मांतरण को बड़ा मुद्दा बनाने में बीजेपी सफल हो पाई या नहीं. कांग्रेस लगातार इस बात को दोहराती रही है कि बीजेपी धर्म की राजनीति करती है, पर इस बार वो सफल नहीं हो पाएगी, लोग विकास चाहते हैं।