जेल भेजनें की धमकी दे कर लिया 10 हज़ार रिश्वत…ढाबा संचालक मां- बेटों ने लगाया गंभीर आरोप…
सारंगढ़: पूर्व पदस्थ अधिकारी अनिल बंजारे ने सारंगढ़ अंचल में अवैध शराब निर्माण और तस्करी पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर शराब माफियाओं का जीना हराम कर दिया था। लेकिन उनके तबादले के बाद सारंगढ़ अंचल में अवैध शराब निर्माण एवं तस्करों के मानों पर उग आये हों?
सूत्रों के मुताबिक आबकारी के संरक्षण पर सारंगढ़ में दर्जनों अवैध बार खुल चुके हैँ! ढाबे नुमा बार में देशी अंग्रेजी शराब की ब्लैक कीमत पर ग्राहकों को ना सिर्फ बिक्री की जाती है बल्कि बैठकर पिलाने की भी खुलेआम सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। लोगों की माने तो में सभी ढाबा जहाँ शराब उपलब्ध होती है वहाँ से प्रत्येक माह आबाकारी अधिकारी को फिक्स चढ़ावा जाता है और जो ढाबा संचालक शराब नही बेचते उन्हें बेवजह, बिना कार्यवाही योग्य शराब मिलने पर भी जेल भेजनें की धमकी देकर ना सिर्फ गाली गलौच और मारपीट होता है बल्कि मामले में फंसाने की धमकी भी दी जाती है । हम लोगों की बातों की पुस्टि नही करते परन्तु दिनांक 08 जनवरी 2024 की घटना से लोगों के आरोपों को जरूर बल मिलता है।
पीड़ित अंकित के अनुसार –
पिता के देहांत के बाद मै और मेरे छोटे भाई ढाबा को चलाते हैँ। दिनांक 08 जनवरी को दोपहर करीब 12 बजे जब मै टंकी मे नहा रहा था तभी विकास सांडे नाम का आबकारी अधिकारी आकर मुझसे पूछा शराब रखे हो? तब मैने बताया कि मै शराब नही बेचता ना ही पिलाने की सुविधा देता हूं, मेरे कर्मचारी लोग शाम को मांगते है तो उनके लिए 2 – 3 पाव रखा हूं, जिसे मैने खुद ला कर बताया। उसके बाद मुझे बैठाकर आबकारी और उनके साथ आये लोग पूरे ढाबे और आसपास सभी जगह चेक किये लेकिन कहीं कुछ नही मिला। फिर मुझे अंदर रूम ले जाकर 1.5 लाख माग किये ! पैसे नही देने पर तुम्हारे नाम से केस बनाएंगे कहकर धमकाये। जब मै 1.5 लाख सपने मे भी नही दे पाऊंगा मेरे पिताजी नही हैँ मुझपर रहम करो बोला। तब गुस्से मे विकास सांडे मुझे कोरे कागज़ मे साइन करने बोला जिसपर मै इंकार किया तब मेरे बाल को खींचकर विकास सान्डे ने लात घुसों से पिटा, साथ ही मां बहन की गंदी गाली दी और जबरजस्ती हस्ताक्षर करा लिए। उसके बाद बाड़ी तरफ मेरे बड़े पापा के खेत मे काम कर रहे मजदूरों को वेदराम साहू नामक आदमी जो विकास सान्डे के साथ मे था लेकर आया और हम यहाँ सिर्फ चेक करने आये हैँ कहकर बहला फुसला कर साइन करा लिए।
विकास सांडे द्वारा कोरे कागज़ मे दस्तखत कराने और मारपीट से डरकर मीडिया को फोन लगाया, तब गुस्से में आगबबूला साहब ने नेतागिरी करते हो कहकर मोबाइल छीन लिया हम फिर मारपीट किया।
इस मारपीट से मेरा छोटा भाई और सभी बहुत डर गये फिर भी बिना गलती के तत्काल गांव में पैसे की व्यवस्था कर बमुश्किल 10 हज़ार रुपये विकास साहब को दिये। शाम को पुनः उनके कर्मचारी पैसा लेने आये थे लेकिन असमर्थता जताने पर आज 09 जनवरी तक का समय दिये हैँ, वरना कोरे कागज़ में हम कुछ भी लिख सकते हैँ तुम भुगतना बोलकर धमकी दे रहे हैँ। मेरे पास पैसा नही है लेकिन मेरी माताजी बहुत डरी हुई है, मोटरसाइकिल को गिरवी रखने की बात घर में चल रही और, प्लीज मेरी मदद कीजिए!
क्या कहते हैँ आबकारी अधिकारी विकास पॉल –
हम कार्यवाही हेतु गये थे, 3-4 पाव शराब मिला था, मारपीट का आरोप बेबुनियाद है, मै जिला मुख्यालय में हूं आकर पुरी बात बताता हूं।
सारंगढ़ है बड़ा कमाई का गढ़ –
बरमकेला की अपेक्षा सारंगढ़ में ढाबों और शराब भट्ठी की संख्या कई गुना अधिक है ऐसे में अवैध कारोबार करने वालों से महीना में कमाई भी तगड़ी होने की संभावना है। अगर पीड़ित द्वारा लगाया गये आरोप में थोड़ी भी सच्चाई है तब तो ग्रामीणों के अनुसार सारंगढ़ अंचल में जब अधिकतर ढाबों में बार की तर्ज पर खुलेआम देशी,अंग्रेजी शराब बेचा और परोसा जाता हो वहाँ अगर किसी भी ढाबे वाला महीना की चढ़ावा ना भेजे नव किसी भी अधिकारी की छड़टपटाहट लाज़मी है।
लेकिन कोरे कागज़ में दस्तखत कराना अपराध है, और मीडिया को शिकायत करने पर मारपीट करना किसी अधिकारी की नही बल्कि गुंडे की निशानी है।