भुनेश्वर निराला की रिपोर्ट
68 विधानसभा सीटों पर एक साथ रैली करेगी बीजेपी हिमाचल प्रदेश में ‘सरकार नहीं, रिवाज बदलें’ के नारे के साथ दोबारा जनादेश हासिल करने की कोशिश में लगी बीजेपी इस बार एक नया प्रयोग करने जा रही है.हिमाचल प्रदेश में बीजेपी मिशन रिपीट के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. प्रचार अभियान में विरोधी दलों को पछाड़ने के लिए बीजेपी प्रदेश में एक साथ सभी विधानसभा क्षेत्रों में 68 रैलियां करने जा रही है. पार्टी 30 अक्टूबर को सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में एक साथ विशाल जनसभा करेगी. इन रैलियों में बीजेपी के स्टार प्रचारक चुनाव प्रचार करते हुए दिखाई देंगे.इन स्टार प्रचारकों में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के साथ कई अन्य नेता रैलियों को संबोधित करेंगे. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 5 नवंबर और 9 नवंबर को हिमाचल दौरा संभावित है.
हिमाचल प्रदेश रिवाज बदलने के लिए तैयार?
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा कि विजय संकल्प अभियान के जरिए भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में रिवाज बदलने जा रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार ने जनता के लिए जो काम किया उससे जनता ने रिवाज बदलने का मन बना लिया है. बीजेपी ने हमेशा प्रदेश के लिए देने का काम किया है जबकि कांग्रेस ने केवल छीना हैं. कांग्रेस पार्टी बड़े-बड़े दावे तो करती रही, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने ही हिमाचल प्रदेश से विशेष राज्य का दर्जा छीना. इसके अलावा हिमाचल को मिलने वाले इंडस्ट्रियल पैकेज को भी कांग्रेस की सरकार ने खत्म किया
.बीजेपी बागियों से परेशान
हिमाचल प्रदेश में इस बार ‘सरकार नहीं, रिवाज बदलें’ के नारे के साथ दोबारा जनादेश हासिल करने के लिए विधान सभा के चुनावी मैदान में उतरी बीजेपी के लिए अपने ही परेशानी का सबब बन गए है. पार्टी के बगावत करने वाले कई नेताओं की वजह से बीजेपी कुछ सीटों पर संकट का सामना कर रही है. हालात को लगातार खराब होते देखकर, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खुद ही मोर्चा संभाल लिया है. दरसअल, हिमाचल प्रदेश जेपी नड्डा का गृह राज्य है और इसलिए इस पहाड़ी राज्य में सीधे-सीधे बीजेपी (BJP) आलाकमान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. यही वजह है कि बागियों को समझाने और मनाने के लिए नड्डा को स्वयं मैदान में उतरना पड़ा.