रायगढ़ जिले में सड़क हादसे लगातार हो रहे हैं। सालों से ब्लैक स्पॉट का निरीक्षण किया जा रहा है, दुर्घटनाएं रोकने उपाय नहीं करने से हादसे कम नहीं हो रहे हैं। जनवरी से जुलाई तक सिर्फ 6 महीनों में 310 सड़क दुर्घटना के मामले सामने आए है जिसमें 162 लोगों की मौत हुई है वहीं 42 लोग गंभीर रूप से घायल हुए है। 274 लोगों को मामूली चोट भी आई है। जानकारी के अनुसार ज्यादातर दुर्घटना नशे के कारण हुई है। थानों की बात करे तो खरसिया थाने में 39 तो लैलूंगा थाने में 37 और शहर के जूटमिल थाने में 31 मामले सामने आए है। आंकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटना में हर दूसरे मामले में लोगों की जान गई है।
बुधवार को घरघोड़ा के पास हुए स्कूल बस हादसे में 26 लोग घायल हुए, जिसमें स्कूल बच्चे सहित ड्राइवर गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं । शहर में भीतर दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक नो एंट्री होती है। इस दौरान स्कूली बच्चे शहर की कालोनी तक छोड़ने बसों को भारी वाहनों के बीच गुजरना पड़ता है, लेकिन नो एंट्री में तेज रफ्तार से दौड़ रही गाड़ियों से स्कूली बच्चे और ड्राइवर परेशान होते है। ढिमरापुर से जिंदल रोड, ढिमरापुर से कोतरा रोड़, उर्दना से रामपुर, शालिनी स्कूल से चक्रधर नगर, चक्रधर नगर से कांशीराम चौक, छातामुड़ा से सारंगढ़ बस स्टैंड रोड पर खतरा ज्यादा होता है। हाइवे के किनारे खड़े वाहनों के कारण जाम लगने व दुर्घटना की आशंका होती है। बुधवार को हुए सड़क हादसे में जांच के बाद सामने आई की ट्रक ड्राइवर नशे की हालत में था। यह कोई पहली घटना नहीं जहां नशे का कारण हादसा हुआ है। ज्यादातर हैवी ड्राइवर नशे में ही गाड़ियां चलाते हैं, वहीं नौसीखिए ड्राइवर बिना लाइसेंस के बड़ी गाड़ियां चलाते हैं। भारी वाहनों की नियमित जांच नहीं होती। शहर में खतरा इसलिए है, क्योंकि शहर के भीतर से हाइवे गुजरता है। उर्दना से कोतरा रोड रेलवे ओवरब्रिज, कांशीराम चौक से ट्रांसपोर्ट नगर तक रिहायशी इलाके हैं। यहां से बच्चों, महिलाओं की आवाजाही होती है। नशे में भारी वाहनों की ड्राइविंग से बड़ा खतरा होता है। दोपहर 1 बजे छातामुड़ा चौक पर तीनों दिशाओं से बड़ी गाड़ियां बे रोक टोक आ जा रही थी। इधर ट्रैफिक के जवान बाइक चालकों की चालान काटने की व्यस्त दिखे। यहां वाहनों की भीड़ को नियंत्रित करता हुआ एक जवान नहीं दिखा। स्कूल की छुटटी के बाद भी ऐसा ही माहौल देखने को मिलता है। नो एंट्री का पालन नहीं होने से बड़ी गाड़ियां तेज रफ्तार में दौड़ रही है।
नियमित जांच, समझाइश के साथ चालान भी कर रहे हैं -डीएसपी
शहर के आसपास और जिले में सभी हाइवे पर नियमित जांच की जा रही है। हाइवे के किनारे बेजा पार्किंग पर चालान किया जा रहा है। वाहन मालिकों के साथ ही ड्राइवर को जागरूक कर रहे हैं।
(सुशांतो बैनर्जी, डीएसपी ट्रैफिक)
गाड़ी पार्किंग से सड़क की चौड़ाई कम
सारंगढ़ बस स्टैंड के पास गाड़ियों सड़क के किनारे खड़ी रहती है, जिससे 20 फीट की सड़क आधा ही रह जाता है। इससे बड़ी गाड़ियों के चलने से बाइक चालक व छोटे वाहनों की परेशानी होती है। इधर ट्रक ड्राइवरों पर कार्रवाई नहीं होने से ये जहां मन कर रहे, वहां गाड़ियां खड़ी कर रहे है। दिन में ज्यादा परेशानी नहीं होती है, लेकिन रात में बिना इंडिकेटर जलाएं ही सड़कों पर गाड़ियां खड़ी रहती है। इससे दुर्घटना होने की संभावना बड़ जाती है। ऐसे ही ढिमरापुर से उर्दना जाने वाली रोड पर देखा जाता है। वन लाइन होने के कारण लोगों को परेशानी होती है। कई बार ओवरटेक के कारण पिछले साल स्कूली बच्चे व पिता की मौत हो गई थी।