रायपुर (छत्तीसगढ़) राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) की स्थापना के 65 वर्ष बाद भी मुख्यालय तेलंगाना से छत्तीसगढ़ स्थानांतरित नहीं किया जा सका है. इसका नुकसान राजस्व के साथ ही रोजगार के रूप में छत्तीसगढ़ को उठाना पड़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक, खनिज संपदाओं की खोज के बाद केंद्र सरकार ने 1958 में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) की नींव रखी और छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एनएमडीसी का संयंत्र स्थापित किया गया. बस्तर के बैलाडीला, बचेली, किरंदुल, नगरनार आदि स्थानों पर एनएमडीसी का सबसे बड़ा संयंत्र हैं, लेकिन इसका मुख्यालय अभी भी तेलंगाना में स्थित है. हैदराबाद में बैठे अधिकारियों के दिशा-निर्देशों से एनएमडीसी का संचालन होता है।
फिलहाल, इस पूरे मामले पर अब राज्य सरकार ने केंद्र पर दबाव बनाया है कि एनएमडीसी का मुख्यालय छत्तीसगढ़ में स्थानांतिरत होना चाहिए. उद्योगपतियों का कहना है कि 1958 में एनएमडीसी की स्थापना के बाद बस्तर से नजदीक होने की वजह से हैदराबाद में हवाई, होटल आदि सुविधाओं की वजह से अस्थायी मुख्यालय बनाया गया था, लेकिन जैसे-जैसे उत्पादन शुरू हुआ अस्थायी मुख्यालय स्थायी रूप से हैदराबाद में ही शिफ्ट कर दिया गया. तब अविभाजित मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ में मुख्यालय के लिए दबाव नहीं बन पाया था, लेकिन अब राज्य सरकार ने इस मामले पर साफ कर दिया है कि खदान छत्तीसगढ़ में हैं तो मुख्यालय भी प्रदेश में ही होना चाहिए. इस विषय पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिठ्ठी लिखी है।
⭕ प्रत्येक वर्ष 2000 करोड़ राजस्व का नुकसान
उद्योगपतियों के मुताबिक हर वर्ष लगभग 8000 करोड़ के लाभ में आयकर के रूप में 2000 करोड़ रुपये का टैक्स वर्तमान में तेलंगाना के हिस्से में जा रहा है. मुख्यालय छत्तीसगढ़ स्थानांतरित होने से इसका लाभ छत्तीसगढ़ को मिलेगा।
⭕25000 करोड़ लागत से स्टील प्लांट
बता दें कि, बस्तर जिले के नगरनार में 25000 करोड़ रुपये की लागत से एनएमडीसी स्टील प्लांट तैयार किया गया है. इस प्लांट में उत्पादन क्षमता तीन मिलियन टन सालाना है. प्लांट का निर्माण आठ वर्ष पहले शुरू किया गया था. स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि स्टील प्लांट में प्रदेश के लोगों को रोजगार मिलना चाहिए.. एनएमडीसी स्टील लिमिटेड कंपनी 2 जनवरी 2015 को अस्तित्व में आईं, लेकिन इसका मुख्यालय भी तेलंगाना में बनाया गया।
रिपोर्ट- गजाधर पैंकरा