विकास कुमार यादव
बलरामपुर/ बांस से बनी वस्तुओं को बेचकर इनका परिवार चलता है. तूरी जाति के लोगों ने पूर्वजों से ये गुण सीखा है.
ग्रामीण आज भी बांस से हर दिन इस्तेमाल होने वाले सामानों को बनाते हैं, क्योंकि विकल्प उतना बेहतर नहीं होता, जितना बांस से बनीं सामान होती है.
बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ क्षेत्र के रहने वाले हिम्मत गहरवार का पूरा परिवार मिलकर बांस के सामान बनाकर बेचते हैं. रामानुजगंज के जामवंतपुर में सड़क किनारे बांस के सामान बनाकर बेचते हैं बांस शिल्प इनका पैतृक व्यवसाय है. वह तरह-तरह के उपयोगी सामान बनाकर बेचते हैं. बांस से बनाए सामान बेचकर ही अपना गुजर-बसर करते हैं इनकी जाति पीढ़ी-दर-पीढ़ी बांस के सामान बेचकर जीवन यापन कर रहे हैं.
*बांस के सामान बनाकर करते हैं गुजारा*
बांस से बनी वस्तुएं बेचकर जो आमदनी होती है उससे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. बांस शिल्प छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी प्रचलित है. बांस के कई उपयोग है. किसी तरह गुजारा करते हैं. पुश्तैनी हुनर को न केवल अपनाए हुए हैं बल्कि सहेजे हुए भी हैं.