जशपुर बगीचा:- छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के जशपुर जिले की दोरकी नदी में सकरमाउथ कैटफिश मिली है। ग्रामीणों ने जब मछली पकड़ने के लिए जाल डाला, तो जाल में एक अजीबोगरीब मछली फंस गई। सकरमाउथ कैटफिश दक्षिण अमेरिका में पाई जाने वाली मांसाहारी मछली है। इससे पहले यह मछली मध्य प्रदेश की गंगा नदी और सिंध नदी में पाई जाती थी। वैज्ञानिकों ने इसे इको-सिस्टम के लिए खतरनाक बताया है।
जानकारी के मुताबिक, जशपुर जिले के बगीचा ब्लॉक के झांपीदरहा निवासी ग्रामीण गांव के पास से गुजरी दोड़की नदी में मछली पकड़ने के लिए गए थे। ग्रामीणों ने नदी में जाल डाला को जाल में एक अजीब दिखने वाली मछली मिली, जिसे वे पहचान नहीं सके। मत्स्य विभाग के अधिकारी ने मछली की पहचान साउथ अमेरिका के अमेजोन नदी में पाई जाने वाली सकरमाउथ कैटफिश के रूप में की।
मांसाहारी मछली इको सिस्टम के लिए खतरा
भारत में यह मछली गंगा नदी के साथ ही सिंध नदी और कुछ बड़ी नदियों में मिली है। भारत के नदियों में मछली कैसे पहुंची। इसे लेकर बताया गया है कि सरकमाउथ कैटफिश को एक्वेरियम में पालने के लिए लाया गया था। मछली के बड़ी होने पर इसे नदियों में छोड़ दिया गया।
सकरमाउथ कैटफिश मांसाहारी होती है एवं अन्य मछलियों का शिकार कर उन्हें खा जाती है। यह दो फुट तक लंबी हो सकती है। इसका खोल कठोर होता है और यह किसी भी परिस्थिति में जिंदा रह सकती है। इस कारण इसे वैज्ञानिक इको सिस्टम के लिए खतरा बताते हैं। यह मछली पानी के बाहर भी काफी समय तक जिंदा रह सकती है।
बड़ी नदियों से होकर पहुंची मछली
सकरमाउथ कैटफिश खाने लायक नहीं होती है। माना जा रहा है कि बड़ी नदियों से होते हुए यह कैटफिश जशपुर तक पहुंच गई। बगीचा के मत्स्य निरीक्षक अभिजीत सिंह ने कहा कि बड़ी नदियों से छोटी नदियां जुड़ी हुई हैं। नदियों के रास्ते ही यह मछली दोड़की नदी में पहुंच गई जो लोग एक्वेरियम में सकर माउथ कैटफिश पालते हैं मुझे इस नदियों में ना छोड़े ।