जशपुरनगर:- कलेक्टर श्री रोहित व्यास के निर्देशन में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के आर्किटेक्चर और प्लानिंग विभाग द्वारा 13-22 दिसंबर तक ष्विजन टू एक्शन रू कार्बन क्रेडिट, फिनटेक और सतत कृषि भूमि और वन प्रबंधन में हितधारकों की सहभागिताष् विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यशाला “छत्तीसगढ़ में व्यापक जनजातीय विकास के लिए स्वदेशी और स्थानीय ज्ञान प्रणालियों और फिनटेक समाधानों का अनुकूलन” नामक परियोजना के अंतर्गत आयोजित की जा रही है। कलेक्टरेट के मंत्रणा कक्ष में मंगलवार को हुई कार्यशाला में जिले के विभिन्न विभागों के साथ चर्चा कर पर्यावरण हित के लिए कार्बन क्रेडिट के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया। कार्यशाला में आईएफएस श्री निखिल अग्रवाल सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
आयोजित कार्यशाला में कलेक्टर श्री रोहित व्यास ने हॉल में इस विषय पर लगाई प्रदर्शनी का अवलोकन किया । उन्होंने अपने संबोधन में क्षेत्र और जनजातीय समुदाय के समृद्ध ज्ञान की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा काफी समृद्ध है। धीरे धीरे यह विलुप्त होता जा रहा है। उन्होंने भारतीय ज्ञान प्रणाली को आगे बढ़ाने के लिए आईआईटी रुड़की के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय प्रकृति की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उनके ज्ञान में गहराई है। उन्होंने कहा कि इस शोध से जिला प्रशासन को लाभ मिलेगा। कलेक्टर ने आईआईटी रुड़की की टीम तथा परियोजना को हर संभव सहयोग देने की बात कही।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों द्वारा कार्बन क्रेडिट की अवधारणा और प्रक्रियाओं के बारे में बताया गया कि कैसे जशपुर जिला हरित अवसंरचना का निर्माण कर सकता है और किसान वैश्विक व राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के माध्यम से अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं। इसके साथ ही राज्य के लिए सामूहिक रूप से कार्बन क्रेडिट उत्पन्न करने की संभावना पर चर्चा की और बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर किसान संगठित होकर कार्बन क्रेडिट के लिए योजनाएँ बना सकते हैं तथा बाज़ार से जुड़ सकते हैं। इस परियोजना को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से आईआईटी भिलाई इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया गया है।
इस आयोजन के तहत आईआईटी रुड़की की टीम 18 दिसंबर को जशपुर जिले के विभिन्न गांवों के किसानों के साथ मुलाकात कर कार्बन क्रेडिट के महत्व के बारे में बताएगी। 19 दिसंबर को कार्यशाला की टीम किसानों को कुसुमताल ग्राम पंचायत, कांसाबेल ब्लॉक स्थित कार्बन ग्राउंड्स डेमोंस्ट्रेशन साइट पर ले जाएगी।
यह कार्यशाला इस श्रृंखला की दूसरी कार्यशाला है। इस सेंटर ऑफ इंडियन नॉलेज सिस्टम्स, आईआईटी रुड़की के प्रमुख प्रोफेसर अनिल गौरीशेट्टी, परियोजना के प्रमुख अन्वेषक डॉ. हर्षित सुसान लकड़ा, कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रोफेसर आशु खन्ना प्रोफेसर सुदीप रॉय, विशेषज्ञ कुलरंजन कुजूर और अजय कटुरी ने भाग लिया।
विशेषज्ञों ने जानकारी दी कि आईआईटी रुड़की रिड्स और अपहोल्ड अर्थ के साथ मिलकर प्रदर्शन परियोजनाएँ प्रदान करेगा तथा डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट लाइवलीहुड कॉलेज के माध्यम से किसानों और ग्राम पंचायतों के लिए क्षमता निर्माण मॉड्यूल भी उपलब्ध कराएगा। परियोजना के अंतर्गत वेब-आधारित, ऐप-आधारित, जीआईएस और आरएस आधारित सूचना प्रणाली का विकास किया जा रहा है, जिसका उपयोग जानकारी के प्रबंधन और प्रसार के लिए किया जाएगा।