लाखो रुपये खर्च कर शासन द्वारा शासकीय अस्पताल खोले जाते हैं. जिसमें डॉक्टर से लेकर अन्य कर्मचारियों का वेतन लाखों में होता है. जो सिर्फ वेतन लेकर के ही घर में रहते हैं न बी एम ओ न सीएमओ न हीं कोई अनुशासन कही दीखता है
यही हाल जिला अस्पताल सेनेटारियम का भी है वहा रजिस्ट्रेशन करने वाले ऐसे कर्मचारी को बैठाया गया है जो पेंड्रा लिखने में 5 मिनट का समय लगेगा. उसे ओपीडी का हेड बनाया गया है. यह कहने में हमें शर्म महसूस होती है. शासकीय अस्पतालसेनेटारियम भी किसी काम का नहीं है बस करोङो को वेतन जाता है शासन का
अंबा डांड हॉस्पिटल में दिन के 12.30 बजे यह देखा गया कि वहा इन्शान तो नहीं पर भूतों का राज है ऐसा मालूम होता है. जीपीएम कि व्यवष्ठा क्यों इतनी लाचार है यह समझ से परे है.
bmo डॉ अमृत मिंज को यह शिकायत कि गई परन्तु उन्होंने सिर्फ देख लेने कि बात कहे. बाहर से आये मरीज डिलवारी केस और हॉस्पिटल में चपरासी भी नहीं तो क्या वहा भूत इलाज करेगा लोगो का.
जिला प्रशासन भी जीपीएम का बिलकुल सुस्त है. जनता करें तो क्या करें सिविल सर्जन जीपीएम या cmo जीपीएम को इसका जवाब देना होगा
जीपीएम से कृष्णा पांडे की खबर