राज्य में विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए अकादमिक निरीक्षण की व्यवस्था लागू की जाएगी। राज्य स्तर से लेकर संकुल स्तर तक इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी। समग्र शिक्षा द्वारा आज वेबीनार के माध्यम से आकादमिक निरीक्षण के तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी गई। यह व्यवस्था राज्य में कोविड लॉकडाउन के बाद विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर में आई गिरावट में सुधार लाने की दृष्टि से लागू की जा रही है। अकादमिक मॉनिटरिंग के लिए 26 बिन्दुओं का निर्धारण किया गया है, जिसे 100 अंकों में बांटा गया है। इसके साथ ही अकादमिक निरीक्षण सिस्टम के क्रियान्वयन के लिए चेक लिस्ट और समय-सीमा भी निर्धारित की गई है।
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने सभी प्रतिभागियों को कोरोना काल में स्कूल लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों द्वारा बच्चों की पढ़ाई निरंतर जारी रखने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सभी से निरीक्षण में सभी बिन्दुओं पर सही जानकारी भरे जाने पर जोर दिया। डॉ. शुक्ला ने निरीक्षण के दौरान वर्तमान स्थिति में सुधार की दिशा में सतत् प्रयास करने की दिशा में काम करने का आव्हान किया। उन्होंने सभी अधिकारियों को स्कूली विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर में सुधार कर फोकस कर निरीक्षण करने के निर्देश दिए। इस बेवीनार में राज्य, जिला, विकासखण्ड स्तरीय कार्यालयों, संकुल समन्वयक उपस्थित थे। बेवीनार को प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा श्री नरेन्द्र दुग्गा और अतिरिक्त मिशन संचालक श्री काबरा ने भी संबोधित करते हुए जानकारी दी। एनआईसी के वरिष्ठ तकनीकी संचालक श्री सोम शेखर द्वारा निरीक्षण के टुल को दर्ज करने की तकनीकी जानकारी से अवगत कराते हुए प्रत्येक टुल पर विस्तार से चर्चा की।
इस नई व्यवस्था की विशेषता होगी कि निरीक्षण के लिए राज्य स्तर से संकुल स्तर एवं शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों को जिम्मेदारी और स्कूल आबंटन किया जाएगा। विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर में सुधार और उनसे संबंधित मुख्य बिन्दुओं पर ही फोकस किया जाएगा। परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स से जुड़े कुछ जमीनी स्तर के पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा। वर्चुअल और प्रत्येक्ष दोनो प्रकार से निरीक्षण किए जाने की सुविधा दी जाएगी। एनआईसी के सहयोग से इसे ऑनलाईन और आसान बनाया जाएगा। जमीनी स्तर पर शिक्षकों द्वारा किए जा रहे विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए किए जाने वाले नवाचारी कार्यों को ढूंढने और उन्हें प्रोत्साहित करने का काम किया जाएगा। जिले में बेहतर कार्यों का दस्तावेजीकरण किया जाएगा। निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर त्वरित फॉलोअप की व्यवस्था की जाएगी। सभी स्तर की अधिकारियों और शाला प्रबंधन सिमिति को तत्काल उन्मुखीकरण कार्यक्रम में शामिल कर निरीक्षण प्रणाली से परिचित करवाया जाएगा। सभी स्तर पर निरीक्षण रिपोर्ट और उस पर की गई कार्रवाई का रिपोर्ट देखने की सुविधा दी जाएगी। राज्य में प्राथकिताओं के आधार पर टूल के कुछ बिन्दुओं में परिवर्तन किए जाने की सुविधा दी जाएगी।
विभिन्न स्तर पर निरीक्षण के लिए लक्ष्य
राज्य स्तर के विभिन्न कार्यालयों के अधिकारियों को जिले आबंटित किए जाएंगे। जिनमें वे प्रतिमाह कम से कम 5 स्कूलों का प्रत्यक्ष अथवा ऑनलाईन निरीक्षण करेंगे। जिला स्तर के विभिन्न कार्यालयों के अधिकारी अपने निर्धारित विकासखण्ड की कम से कम 5 स्कूलों का प्रतिमाह वर्चुअल भ्रमण एवं कम से कम दो स्कूलों का अकादमिक निरीक्षण प्रतिमाह करेंगे। विकासखण्ड स्तर के विभिन्न कार्यालयों के अधिकारी अपने निर्धारित क्षेत्र के शाला संकुलों की कम से कम 20 स्कूलों का प्रतिमाह अकादमिक निरीक्षण करेंगे। शाला संकुल प्राचार्य अपनी शाला संकुल की कम से कम 50 प्रतिशत स्कूलों का प्रतिमाह अकादमिक निरीक्षण करेंगे। संकुल स्त्रोत केन्द्र समन्वयक अपने स्कूल में नियमित अध्यापन के साथ-साथ संकुल के सभी स्कूलों का माह में कम से दो बार अवश्य अकादमिक निरीक्षण करेंगे। शाला प्रबंधन समिति के सदस्य प्रतिमाह कम से कम 5 दिन अपने स्कूल में निरीक्षण कर स्कूल में सुधार के लिए आवश्यकताओं का और बच्चों की सीखने की स्तर की पड़ताल करेंगे।