जशपुर/ सीतापुर (छत्तीसगढ़) प्रदेश के सरगुजा की सीतापुर सीट से एक सैनिक चुनाव लड़ सकता है. देश की सेवा करने वाले जवान के मन में ये ख्याल उस समय आया जब गांव की एक बहन ने खून से चिट्ठी लिखकर भाई को वापस गांव आने को कहा।
दरअसल, जवान किस पार्टी से चुनाव लड़ेगा, इस बात का खुलासा तो फिलहाल नहीं हुआ है लेकिन अपने क्षेत्र के लोगों के बुलावे पर जवान बीएसएफ की नौकरी छोड़कर गांव पहुंचा. यहां के लोगों ने भी जवान का भव्य स्वागत करते हुए तिरंगा रैली निकाली और उसे अपना नेता चुना है।
जानकारी के मुताबिक, सीतापुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए यहां के ग्रामीणों ने अपने गांव के एक जवान को कश्मीर से बुलाया है. जवान बीएसएफ में अपनी सेवा दे रहा था और कश्मीर में ड्यूटी पर तैनात था. इस जवान को गांव वापस बुलाने के लिए गांव वालों को कई बार फोन करना पड़ा, सैकड़ों चिट्ठी भेजनी पड़ी. गांव की एक युवती ने खून से भी चिट्ठी लिखी. जिसके बाद जवान ने बीएसएफ की नौकरी छोड़ दी और सीतापुर पहुंच गया।
⭕फौजी को चुनाव लड़ाने गांव से भेजी गई 1000 चिट्ठी
फिलहाल, सेना की नौकरी छोड़कर सीतापुर के बतौली पहुंचे रामकुमार टोप्पो आदिवासी वर्ग से हैं. वो जम्मू कश्मीर में सीमा पर डयूटी करते हैं. बॉर्डर पर तैनात इस जवान को वापस गांव बुलाने के लिए सीतापुर के युवाओं ने लगभग 1000 से ज्यादा चिट्ठी भेजी. इनमें एक चिट्ठी ऐसी थी जिसे एक युवती ने खून से लिखी थी. इस चिट्ठी को देखने और पढ़ने के बाद रामकुमार टोप्पो खुद को रोक नहीं पाया और गांव वापस पहुंच गया.
“हजारों चिट्ठियों के बीच एक बहन का खून से लिखा लेटर आया. उससे हर एक शब्द ऐसा लिखा जो दिल को छू गया. इस परिस्थिति में भी अगर कोई भाई वापस नहीं लौटता तो एक देश का सैनिक कहलाने के लायक नहीं रहता”. -रामकुमार टोप्पो
⭕रामकुमार को गांव वालों ने बनाया अपना उम्मीदवार
जानकारी के अनुसार, सोमवार को रामकुमार के साथ हजारों की संख्या में बतौली से सीतापुर तक तिरंगा यात्रा निकालकर विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए शंखनाद किया गया. क्षेत्र के युवाओं और जनता ने कहा कि तिरंगा यात्रा के माध्यम से सीतापुर विधानसभा क्षेत्र में रामकुमार को जिताने के लिए हम पुरजोर मेहनत करेंगे. गांव वालों का कहना है कि इस क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए रामकुमार को सीतापुर विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार के रूप में देखना चाहते हैं।
गांव वालों का कहना है,तिरंगा यात्रा कर रामकुमार टोप्पो भाई को लाए हैं. हम चाहते हैं कि वे हम युवाओं की तरफ से विधायक के लिए चुनाव लड़े. हमने जो प्रस्ताव दिया है उस पर वो अपनी नौकरी छोड़कर गांव पहुंचे हैं. हमारा भी फर्ज है कि हम उन्हें समय दें. जो देश के लिए कर सकते हैं वो अपने क्षेत्र के लिए भी करेगा।
फिलहाल, बीएसएफ जवान रामकुमार किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे इसका खुलासा फिलहाल नहीं हुआ है. लेकिन अपने चुनाव लड़ने को लेकर रामकुमार ने इसका फैसला अपने क्षेत्र के लोगों पर ही छोड़ दिया है।मुझे लाने का फैसला गांव के युवा किए हैं तो पार्टी का चुनाव भी युवा कर करेंगे।
दरअसल, अपने क्षेत्र के युवाओं की बात मानकर नौकरी छोड़ने वाला ये जवान किसी पार्टी में शामिल होता है या निर्दलीय चुनाव लड़ता है ये आगे चलकर देखने वाली बात होगी।
गजाधर पैंकरा की रिपोर्ट…✍️