नारायणपुर। भूख एक ऐसी चीज है, जो इंसान से क्या-क्या नहीं करा देती. लेकिन जब बात भ्रष्टाचार की भूख की हो तो फिर बात अगले स्तर पर चली जाती है. ऐसी भूख नारायणपुर जिले के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की देखने को मिली, जब उन्होंने तालाब निर्माण के नाम पर ग्रामीणों की निजी जमीन को खोद दिया. इन तमाम शिकायतों को लेकर ग्रामीण मुख्यालय पहुंचे थे.
वाटर लेबल को मेंटेन रखने व ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को बारह मासी पानी की सुविधा मुहैया कराने शासन द्वारा जिले में अलग-अलग स्थानों पर अमृत सरोवर योजना के तहत तालाबों का निर्माण व गहरीकरण कराया जा रहा है. योजनान्तर्गत जिला मुख्यालय से लगभग 17 किमी दूर फरसगांव क्षेत्र में जल संसाधन विभाग द्वारा 6 तालाब खोदे गए हैं, प्रत्येक तालाब के पास लगाए गए बोर्ड में लागत राशि का उल्लेख 29 लाख रुपए से अधिक का किया गया है.
ग्रामीणों का आरोप है कि तालाब को शासकीय भूमि में खोदा जाना है, लेकिन अधिकारीयों ने ग्रामीणों से जमीन के बदले दूसरे स्थान पर जमीन या मुआवजा दिया जाएगा कहकर ग्रमीणों के पुस्तैनी पट्टे वाले जमीन पर तालाब खोद दिया. इतना ही नही ग्रामीणों का यह भी कहना है कि तालाब निर्माण में 10 लाख रुपए से अधिक का कार्य नजर नहीं आ रहा है, जबकि बोर्ड में लागत राशि 29 लाख रुपए बताई जा रही है. यही नहीं तालाब की मेढ़ पर रोलर भी नहीं चलाया गया है, जिस वजह से मेढ़ कटने लगा है. तालाब मानक के अनुसार गहरा भी नहीं है, लिहाजा गर्मी में सूखने के पूरे आसार हैं.
इन तमाम शिकायतों को लेकर ग्रामीण मुख्यालय पहुंचे थे. लेकिन चार माह बीतने के बाद जब जल संसाधन विभाग से कोई अधिकारी या कर्मचारी ग्राम में नहीं पहुंचे, तब बीते हफ्ते ग्रामीण अपने भूमि के दस्तावेजों के साथ आवेदन लेकर जनदर्शन में कलेक्टर से जमीन या मुआवजा दिलवाने का गुहार लगाने पहुंचे. ग्रामीण ने बताया 6 में से 1 तालाब एक ही व्यक्ति के भूमि में है, तो वहीं अन्य तालाबों का कुछ हिस्सा शासकीय भूमि में है, और कुछ हिस्सा ग्रामीण के पट्टे वाले भूमि पर.
पूरे मामले पर अब तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई की खबर नहीं आई है, वहीं जल संसाधन विभाग के ईई पहले तो कैमरे के सामने कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिए, फिर उन्होंने मौखिक रूप से यह कार्य मेरे कार्यकाल का नहीं है. इसके साथ ही सेवानिवृत्त हो चुके पूर्व ईई अजय चौधरी पर सारा ठीकरा फोड़ते हुए अपना पल्ला झाड़ते नजर आए. अधिकारी ने कहा कि ग्रामीणों की सहमति के बाद ही तालाब उनकी जमीन पर खोदा गया है.