सतना :- बेबसी की मारी ये बेचारी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है। कहने को तो हमारे आस पास लोगों की भीड़ जमा है लेकिन बात मदद की आए तो मुसीबत के समय कोई हाथ नहीं बढ़ाता। कोई आगे नहीं आता है। कुछ ऐसा ही सतना जिला अस्पताल में देखने को मिला जहां एक बेबस मां की कोख उजड़ गई लेकिन उसे ढांढस बंधाने वाला कोई नहीं था।
फिलहाल, अपने जुड़वा बच्चों को खो चुकी मां भी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है। दूसरी ओर नवजात जुड़वा बच्चों की मौत को भी 48 घंटे बीत चुके है, लेकिन किसी ने मदद का हाथ नहीं बढ़ाया। ऐसे में नगर निगम मृत बच्चों का अंतिम संस्कार करेगा।
बता दें कि, दिल को झकझोर देने वाली यह घटना सतना जिले की है। जहां पड़ोसी महिला अपनी दर्द से तड़प रही पड़ोसन रामटेकरी निवासी दयावती आदिवासी को जिला अस्पताल लेकर आई थी। अस्पताल में भर्ती कराने के बाद वह अपने घर को लौट गई। दयावती एनीमिया से पीड़ित थी। प्रसव हुआ लेकिन जुड़वा बच्चे मृत निकले, दयावती की हालत गंभीर है, उसे गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया है। दयावती जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही लेकिन उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं, न ससुराल पक्ष और न ही मायके पक्ष के लोग मदद को आगे आ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, दयावती का पति गुजरात में रहता है। ऐसे में नवजातों के शव पिछले दो दिनों से पीएम में लावारिश पड़े हैं। ऐसे में जिला अस्पताल प्रबंधन ने नवजात के शव को दफन करने नगर निगम को पत्र लिखा है। जानकारी लगने के साथ नगर निगम का अमला बृहस्पतिवार को जिला अस्पताल पहुंचा मगर शाम होने और कागजी खानापूर्ति करने की वजह से आज शुक्रवार को नवजात को दफन किया जाएगा।
रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर