जशपुर :- छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के मिर्च उत्पादक किसानों का लाभ दोगुना करने की योजना लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी वास्तविकता की धरातल पर नही उतर पाई है। 65 लाख रूपये की लागत से निर्मित भवन और मशीने बिना उपयोग के कबाड़ में तब्दील होते जा रहें हैं।
फिलहाल, वहीं अपनी फसल बेचने के लिए किसानों का संघर्ष पूर्ववत जारी है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार इस प्रोसेसिंग यूनिट को पटरी में लाने में पूरी तरह से विफल रही। प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के बाद इसके उद्घाटन करने की खानापूर्ति कर उपेक्षित छोड़ दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि, सन्ना समेत आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में मिर्ची के उत्पादन में साल दर साल नए रिकार्ड बना कर जिले की नई पहचान गढ़ रहे किसानों के लिए मौसम की अनिश्चितता एक बड़ी चुनौती है। 20 एकड़ में मिर्ची की फसल लगाने वाले कवई निवासी मिर्ची उत्पादक किसान शौकत अली बताते है कि मिर्ची के लिए तापमान और बारिश का सही संतुलन बेहद आवश्यक होता है. पानी के ज्यादा गिरने से जहां पौधे के गलने का खतरा होता है। वहीं कम बारिश से पौधों के सूखने के साथ ही कई बीमारियों की चपेट में भी आ जाती है।
ज्ञात हो कि, जिले में मौसम की अनिश्चितता साल भर बनी रहती है. कभी गर्मी के सीजन में मूसलाधार बारिश होती है तो कभी बरसात के सीजन में तेज धूप खिली रहती है। समय-समय पर आने वाले चक्रवातीय तूफान और तेज बारिश के दौरान पहाड़ों से उतरने वाली पानी के तेज धार भी फसल को नुकसान पहुंचाती है। किसानों की शिकायत है कि मौसम के खतरे से निबटने के लिए शासन की ओर से उन्हें सहायता तो दूर उचित मार्गदर्शन भी नहीं मिल रहा है।
फिलहाल ,डुमरकोना के किसान बलवंत गुप्ता ने बताया कि मिर्ची की फसल को लेकर प्रशासन अब तक एक भी कार्यशाला का आयोजन नहीं कर पाई है। पंड्रापाठ के किसान विजय राम ने बताया कि मिर्ची की फसल लगाने में लगभग 5 से 6 हजार प्रति एकड़ की लागत आती है।
दरअसल, खाद और बीज के दम बढ़ने पर लागत भी बढ़ जाती है. मिर्ची की फसल तैयार होने पर इससे अधिकतम 3 बार मिर्ची की तुड़ाई की जाती है। तीसरी बार की तुड़ाई में उत्पादन की मात्रा कम हो जाती है. मौसम का मिजाज बिगड़ने खास कर कम बारिश होने की स्थिती में फसल की लागत बढ़ जाता है।
सरकारी मदद भी हुई बंद
बता दे कि, वर्ष 2013 में केंद्र सरकार की मदद से चलाई जा रही मसाला विकास योजना के बंद कर दिए जाने से मिर्च उत्पादक किसानों की मुश्किलें और अधिक बढ़ गई है। जिला उद्यान अधिकारी सतीश कुमार सिंह ने बताया कि गत वर्ष तक मिर्च उत्पादक किसानों को मसाला विकास योजना को बंद कर दिया गया है। इस योजना के तहत किसानों को खाद, बीज और दवा की खरीदी के लिए सब्सिड़ी दी जाती थी।
फिलहाल, सरकारी मदद के बंद होने से किसानों के हौसला भी पस्त हुआ है. नतीजा जिले में मिर्च के उत्पादन और रकबा में गत वर्ष की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2012-13 में जिले में मिर्ची की फसल का रकबा 2200 हेक्टेयर और उत्पादन 14058 मिट्रिक टन था,जो वर्ष 2013-14 में गिरकर 1500 हेक्टेयर और उत्पादन 9785 मिट्रिक टन रह गया है।
राहुल गांधी ने की थी प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की घोषणा
ज्ञात हो कि, 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान बगीचा के हाईस्कूल मैदान में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बगीचा ब्लाक में होने वाले आलू, मिर्च के उत्पादन का उल्लेख करते हुए किसानों की समृद्वि के लिए कृषि आधारित फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की घोषणा की थी। लेकिन पूरे पांच साल का कार्यकाल के दौरान सरकार जिले में इस घोषणा को लागू नहीं कर पाई।
रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर