छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले से तलाक़ की अर्जी का अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जहां एक पति ने अपनी बीवी के सांवले रंग के चलते तलाक़ का फैसला किया और हाई कोर्ट में अर्ज़ी दे डाली.
जानकारी के मुताबिक, इस मामले में हाई कोर्ट ने पति के तलाक अर्जी को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि त्वचा के रंग की पसंद वाली मानसिकता को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता. त्वचा के रंग को लेकर भेदभाव वाली मानसिकता से छुटकारा पाने के लिए सोचना चाहिए.
बता दें कि, मामले को लेकर पति ने सबसे पहले गृह जिला कोर्ट में अर्जी लगाई थी. जहां पर फैसला पक्ष में नहीं होने से पति ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन हाई कोर्ट से भी उसे निराशा हाथ लगी. न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और दीपक कुमार तिवारी की बेंच ने पति की याचिका खारिज करते हुए कहा, “लोगों को अपने घर पर बातचीत के तरीके को बदलने की जरूरत हैं. त्वचा के रंग को लेकर भेदभाव को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए.”
त्वचा के रंग को लेकर भेदभाव पर हाई कोर्ट ने कही ये बात
ज्ञात हो कि, 22 नवंबर को भी एक फैसला सुनाया गया था. जहां पर अपने सांवले रंग की वजह से पत्नी को काफी बदसलूकी का सामना करना पड़ा. बाद में रंग के आधार पर पति ने अपनी पत्नी को छोड़ने का फैसला किया. न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की तरफ से लिखित आदेश में कहा गया कि समाज में सांवली त्वचा पर गोरी त्वचा को प्राथमिकता देने वाली मानसिकता को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता. इसके लिए पति को प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता है.इस फैसले में अदालत ने एक रिसर्च का हवाला दिया और बताया कि रंग को लेकर सांवली महिलाओं को कम समझा जाता है. एक इंसान को सिर्फ इसलिए अलग होने की छूट नहीं दी जा सकती क्योंकि वह रंग के चलते अपने साथी को पसंद नहीं करता. समाज को इस मुद्दे पर सुधार करने की ज़रूरत हैं.
फिलहाल, अदालत ने कहा, अध्ययन से पता चलता है कि गोरी त्वचा वाली महिलाओं को आकर्षित दिखाया जाता है. ज़्यादातर सौंदर्य प्रसाधन (ब्यूटी प्रोडक्ट्स) त्वचा को गोरा करने की तरफ इशारा करते हैं. ऐसे में सांवले रंग की महिलाओं को कम आत्मविश्वासी समझा जाता है जो त्वचा के रंग में भेदभाव का कारण बनता हैं.
रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर