जशपुरनगर : छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में आनलाइन गेम में पैसा हारने और घरवालों की डांट की डर से 12 वीं के छात्र ने आत्महत्या कर ली। घटना जिले के नारायणपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत कलिया के आश्रित गांव बनखेता की है।
जानकारी के अनुसार छात्र सुमित लकड़ा पिता भोला लकड़ा, उम्र 18 वर्ष को फ्री फायर गेम की लत लग गई थी। दिन भर वह मोबाइल में गेम खेलने में लगा रहता था। जानकारी के मुताबिक वह पैसा लगाकर गेम खेलता था। गेम में वह काफी पैसा हार चुका था। उसका एक भाई विनीत लकड़ा मुंबई में रहता है। बीते फरवरी में सुमित ने अपने भाई विनीत से घर का बोर बनवाने की बात बोलकर उससे 5 हजार रुपए लिया था, उसे भी वह फ्री फायर गेम में हार गया। मंगलवार को सुमित घर में अकेला था। उसके घर वाले महुआ डोरी चुनने गए हुए थे। इसी बीच सुमित ने फांसी लग कर आत्महत्या कर ली। मामले में मर्ग कायम कर नारायणपुर पुलिस जांच में जुट गई है।
बच्चों व किशोरों को जल्दी लगती है गेम की लत
वहीं, रांची विवि में मनोविज्ञान की स्टूडेंट वर्तिका पाठक का कहना है कि बच्चों व किशोरों को मोबाइल गेम की लत जल्दी लगती है। मोबाइल फोन की स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से दिमाग को खुशी मिलती है। ऐसे में ब्रेन से डोपामाइन हार्माेन तेजी से रिलीज होता है। यह हार्माेन हैप्पी हार्मोंस में से एक है। इस हार्माेन के ज्यादा रिलीज होने से ज्यादा मजा आने लगता है जो धीरे-धीरे लत में बदल जाता है। जिससे बच्चा मोबाइल स्क्रीन से नजर हटाने तक का नाम नहीं लेता है।अगर छोटी उम्र में डोपामाइन का लेवल हाई हो जाता है तो बच्चे का ध्यान इधर-उधर बंट जाता है। पढ़ाई में कॉन्सेंट्रेट नहीं कर पाता है।
’मेंटल हेल्थ खराब कर रहे मोबाइल गेम’
दरअसल, सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग की लत का प्रभाव बच्चों की मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है और बच्चे मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर्स के शिकार हो रहे हैं। उनमें स्ट्रेस, सोशल एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। साथ ही उनमें आत्मविश्वास की कमी, पढ़ाई पर फोकस, सामाजिकता की कमी और अनिद्रा जैसी समस्याएं आ रहीं हैं। इसके अलावा छोटे बच्चों व किशोरों के व्यवहार में भी बदलाव देखा जा रहा है। वे ज्यादा चिड़चिड़े और गुस्सैल होते जा रहे हैं।
बच्चों को कैसे दूर रखें इसकी लत से
फिलहाल, आज के समय में बच्चे आउटडोर खेलों से ज्यादा इंडोर या डिजीटल गेम्स खेलना पसंद करते हैं। जिसके चलते ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन गेम खेलने की लत का भी शिकार हो जाते हैं। इंटरनेट के इस दौर में बच्चे अक्सर फोन, लैपटॉप और टैबलेट पर अलग-अलग ऑनलाइन गेम खेलते रहते हैं. वहीं, पबजी और फ्री फायर जैसे ऑनलाइन गेम बच्चों के बीच में काफी पॉपुलर हो चुके हैं। ऑनलाइन गेमिंग की लत बच्चों के मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डालती है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों को ऑनलाइन गेम्स से दूर रखा जाए और मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट पर उनकी स्क्रीनिंग टाइम सीमित की जाए। इसके लिए सबसे पहले शुरु से ही अभिभावकों को ध्यान देने की जरूरत है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से बच्चों की दूरी बनाएं। अगर पढ़ाई के लिए जरूरी हो तो सीमित समय के लिए उन्हें मोबाइल दें और मॉनिटरिंग करते रहें। बच्चों को आउटडोर गेम्स की ओर प्रोत्साहित करें। उनकी पेंटिंग्स, गार्डनिंग जैसी अभिरुचियों को करने के लिए प्रेरित करें। फ्रेंडली माहौल में बच्चों से बातें करें और बातों बातों में ही उन्हे मोबाइल गेम्स के नुकसानों से अवगत कराएं। बच्चों को ज्यादा डांट – डपट न करें। ऐसे ही कुछ टिप्स अपनाकर बच्चों में मोबाइल गेम्स की लत लगने से बचाया जा सकता है।