Hathras Stampede: हाथरस हादसे में अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है। राहत आयुक्त कार्यालय के अनुसार, 121 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 28 लोग घायल हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मरने वालों में 108 महिलाएं शामिल हैं, जबकि अन्य बच्चे और पुरुष शामिल हैं।
हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में आयोजित सत्संग में मंगलवार को जानलेवा भगदड़ के बाद यहां सरकारी अस्पताल के अंदर बड़ा ही हृदयविदारक और मार्मिक मंजर देखने को मिला। अस्पताल के अंदर बर्फ की सिल्लियों पर शवों को रखा गया, जबकि पीड़ितों के विलाप करते परिजन शवों को घर ले जाने के लिए रात में बूंदाबांदी के बीच बाहर इंतजार कर रहे थे। अधिकारियों ने मृतकों की संख्या 121 बताई है, जिनमें 108 महिलाएं, जबकि अन्य बच्चे और पुरुस हैं। भगदड़ अपराह्न करीब 3.30 बजे हुई, जब बाबा कार्यक्रम स्थल से निकल रहे थे।
हादसे के बाद परिजन घटना स्थल पर पहुंचे और अपनों को तलाशने लगे। इसके बाद कई निराश हुए, तो कुछ भाग्यशाली भी थे। भगदड़ वाली जगह से सबसे नजदीकी स्वास्थ्य सुविधा केंद्र सिकंदराराऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के बाहर कई लोग देर रात तक अपने लापता परिवार के सदस्यों की तलाश करते नजर आए। कासगंज जिले में रहने वाले राजेश ने बताया कि वह अपनी मां को ढूंढ रहा, जबकि शिवम अपनी बुआ को ढूंढते मिला। दोनों के हाथ में मोबाइल फोन थे, जिस पर उनके रिश्तेदारों की तस्वीरें थीं। राजेश ने बताया, “मैंने एक समाचार चैनल पर अपनी मां की तस्वीर देखी और उन्हें पहचान लिया। वह हमारे गांव के दो दर्जन अन्य लोगों के साथ यहां सत्संग में शामिल होने आई थीं।”
वहीं, अपनी मां सुदामा देवी (65) को खोने वाली मीना देवी ने कहा, ‘मैं जिस इलाके (सादिकपुर) में रहती हूं, वहां बूंदाबांदी हो रही थी, अन्यथा मैं भी अपनी मां के साथ संगत में जाने की योजना बना रही थी।’ गमगीन मीना बागला संयुक्त जिला अस्पताल के टीबी विभाग के बाहर बैठी थी, जहां भूतल पर कई शव रखे हुए थे। उसने पीटीआई से कहा, “मेरे भाई और भाभी, उनके बच्चे मेरी मां के साथ संगत में गए थे। भीड़ में मेरी मां पीछे रह गईं और कुचल गईं।” सासनी तहसील के बरसे गांव में रहने वाले विनोद कुमार सूर्यवंशी ने अपनी 72 वर्षीय मौसी को खो दिया, जबकि उनकी मां सौभाग्य से बच गईं। ग्रेटर नोएडा से यहां आने वाली अपनी मौसी के बेटे का इंतजार करते हुए उन्होंने कहा, “मैं यहां तीन घंटे से हूं। शव अभी भी यहां है और मुझे बताया गया है कि इसे अब पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा, लेकिन मुझे नहीं पता कि इसमें और कितना समय लगेगा।”
बता दें, हाथरस हादसे के बाद कई परिजन सदमे में हैं, उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा है कि उनके अपने उन्हें छोड़कर चले गए हैं। सूर्यवंशी ने कहा कि उनकी मौसी और मां करीब 15 साल से बाबा के प्रवचन का पालन कर रही हैं और भगदड़ को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया। जिला अस्पताल में कई शव रखे गए हैं। कुछ को घटनास्थल के पास सिकंदराराऊ इलाके के ट्रॉमा सेंटर में रखा गया है, जबकि कुछ को पास के एटा जिले के सरकारी अस्पताल में भेजा गया है। राजेश ने कहा, “मेरी मां का शव यहां है, लेकिन पोस्टमार्टम कराने के लिए शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है।”
हालांकि, एक बुजुर्ग महिला बुधवार सुबह एटा पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंची जहां वह अपनी नातिन को ढूंढ रही थी। वहीं एक बुजुर्ग अपनी बुआ की नाती की बहू को ढूंढते हुए पहुंचे। बुजर्ग महिला ने बताया कि वह अपनी नातिन के साथ भोले बाबा के सत्संग में गई थी, वहां भगदड़ मच गई. जिसके बाद से उसकी नातिन गायब हो गई है। वहीं बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि उसकी पत्नी, और उसकी बुआ की नाती की बहू सहित कई लोग सत्संग में गए थे। जिसमें उसकी बुआ की नाती की पत्नी और उसके बेटे की हादसे में मौत हो गई। बेटा हाथरस के जिला अस्पताल में मृत मिला और उसकी पत्नी एटा के पोस्टमार्टम हाउस में मिली है।
इस बीच, आरएसएस और बजरंग दल के कार्यकर्ता और स्वयंसेवक भी दोपहर से अस्पताल में मौजूद हैं और पीड़ितों के रिश्तेदारों को पानी के पैकेट बांट रहे हैं और चिकित्सा प्रक्रियाओं के बारे में मार्गदर्शन दे रहे हैं। पीड़ितों के कई परिजन अब भी सदमे में हैं।”
वहीं, अधिकारियों ने बताया कि सत्संग में शामिल होने के लिए श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी आये थे। अलीगढ़ परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) शलभ माथुर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि हाथरस में भगदड़ की घटना में 121 लोगों की मौत हुई है।
फिलहाल, अधिकारियों ने बताया कि एटा और हाथरस सटे हुए जिले हैं और सत्संग में एटा के लोग भी शामिल होने पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि इसके अलावा सत्संग में आगरा, संभल, ललितपुर, अलीगढ़, बदायूं, कासगंज, मथुरा, औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुरर, बुलंदशहर, हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल, मध्यप्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के डीग आदि जिलों से भी अनुयायी सत्संग में पहुंचे थे।
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रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर