छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका पदों की भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है।
गरीब महिलाओं से भी की गई वसूली
इस भर्ती प्रक्रिया में कुल 26 पदों पर नियुक्तियां होनी थीं, जिसमें विधवा, परित्यक्ता और तलाकशुदा महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है। ये महिलाएं अक्सर अत्यंत गरीब होती हैं और रोजी-मजदूरी पर निर्भर रहती हैं। बावजूद इसके, उनसे भी 50-50 हजार रुपये तक की वसूली की गई। जो अभ्यर्थी रिश्वत नहीं दे सके, उनके नाम चयन सूची में शीर्ष पर होने के बावजूद हटा दिए गए और पैसे देने वालों को नियुक्ति आदेश जारी कर दिए गए।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि नियुक्ति आदेश जारी करने के बदले उनसे 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक वसूले गए। इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मचारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल उठे हैं। शिकायत अब जिले की कलेक्टर और जिला परियोजना अधिकारी तक पहुंच चुकी है, जहां जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
शिकायतों पर जांच का इंतजार
इस मामले में कई अभ्यर्थियों ने खुलकर आरोप लगाए हैं। वहीं, जिन महिलाओं ने रिश्वत देकर नौकरी पाई है, वे इस पर बोलने से बच रही हैं। जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने कहा है कि नियुक्ति आदेश जारी हो चुके हैं, इसलिए अब कलेक्टर कार्यालय में अपील की जा सकती है।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई का दबाव
अभ्यर्थियों का कहना है कि न केवल विभागीय कर्मचारियों बल्कि जनप्रतिनिधियों की एक समिति ने भी उनसे रिश्वत ली। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब सबकी नजरें कलेक्टर और जिला अधिकारियों की कार्रवाई पर हैं। क्या दोषियों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह दब जाएगा, यह समय ही बताएगा