रायपुर:- रायपुर के प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में स्वयंभू महंत राम आशीष दास उर्फ आशीष तिवारी ने जिन मठों और मंदिरों का महंत होने का दावा किया, उन दावों को सार्वजनिक रूप से खंडन किया गया। जानकारी के अनुसार, आशीष तिवारी ने जैतुसाव मठ, गोपीदास मंदिर और हनुमान मंदिर का महंत होने का दावा किया है, जबकि यह सभी मठ और मंदिर अपने वास्तविक महंतों द्वारा संचालित हैं। जैतुसाव मठ के महंत राजेश्री महंत रामसुंदर दास, गोपीदास मंदिर के महंत राजीव नयन शरण जी महराज हैं।
आशीष तिवारी का दावा है कि वह जैतुसाव मठ में रहते हैं और स्वयं को निहंग साधु (ब्रह्मचारी) कहते हैं, लेकिन सच यह है कि वह दीनदयाल उपाध्याय नगर में अपनी पत्नी ज्योति तिवारी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। हाल ही में, तिवारी ने भाठागांव में अपनी पत्नी के नाम पर तीन करोड़ रुपये का बंगला खरीदा और रायपुर व बिलासपुर में करोड़ों की संपत्ति बनाई है।
प्रेस वार्ता में यह भी आरोप लगाया गया कि तिवारी के भू-माफिया गिरोह के प्रमुख हरमीत सिंह खनुजा के साथ मिलीभगत है, जिन्होंने ग्राम धरमपुरा में एक अवैध नामांतरण के जरिए मंदिर की संपत्ति को अपने नाम रजिस्ट्री करवा लिया। यह संपत्ति करीब 25 करोड़ रुपये की बताई जाती है, जो पहले ट्रस्ट संपत्ति थी। ऐसे नामांतरण प्रकरणों को पहले ही विधि विरुद्ध होने के कारण खारिज किया जा चुका था, फिर भी यह अवैध कार्रवाई की गई। इस मामले में तहसीलदार मनीष साहू और अजय चंद्रवंशी के सहयोग का भी आरोप है।
अकलेश जैन ने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि मंदिरों की संपत्ति को कौन हड़प रहा है और किन-किन राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब हो रहा है। उन्होंने कलेक्टर और शासन के अधिकारियों को इस संबंध में आवेदन देकर उचित कार्यवाही करने का अनुरोध किया है।
अकलेश जैन का यह भी कहना था कि 2019 से 2025 तक इस तरह के कई नामांतरण और विक्रय-विलेखों की जांच होनी चाहिए ताकि मंदिरों की संपत्तियों को बचाया जा सके और भू-माफिया के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।