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छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन तहसील शाखा लैलूंगा के संयोजक श्री मालिकचंद भारद्वाज ने कहा कि – सरकार द्वारा 2018 के जन घोषणा पत्र में कहा गया था कि पहला साल किसानों के लिए काम किया जायेगा और दूसरे साल में कर्मचारियों के हितों पर ध्यान दिया जाएगा।
मगर आज पर्यन्त सरकार से केवल आश्वासन ही मिला है।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन द्वारा अपनी चार सूत्रीय मांगों जिसमें– (वेतन विसंगति दूर करने , चार स्तरीय पदोन्नत वेतनमान प्रदान करने , सातवें वेतनमान अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता देने , तथा केन्द्र के समान महंगाई भत्ता प्रदान करने) के लिए 3 मार्च को तहसील और जिला स्तर पर तथा 18 मार्च को प्रदेश स्तर पर एक दिवसीय धरना एवं ज्ञापन सौंपा गया।
परन्तु सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी।
हद तो तब हो गई है कि प्रदेश के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है, जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार है।
केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को 42% महंगाई भत्ता दे दिया मगर छ. ग.सरकार अपने कर्मचारियों को केवल 33 % महंगाई भत्ता देकर झुनझुना पकड़ा दी है।
इसी क्रम में प्राचार्य पदोन्नति संबंधी विराम लगा दिया गया है,जो टी विभाग में 2013 से तथा ई विभाग में 2016 से नहीं हो रही है।
प्रदेश के 3000 हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल प्रभारी प्राचार्य के भरोसे संचालित है।
प्रदोन्नति के आश में बाट जोहते कई व्याख्यता एवं प्रधान पाठक या तो सेवा निवृत्त हो गये या मृत्यु को प्राप्त कर चुके।
सरकार आश्वासन पे आश्वासन दिए जा रही है, इस रवैए से नाखुश कर्मचारियों की मंशा को भांपने से लगता है कि आने वाले चुनाव में कहीं कर्मचारी भी आश्वासन देने को मजबूर न हों जाएं।
अतः छत्तीसगढ़ सरकार माननीय भूपेश बघेल जी से विनम्र निवेदन है कि कर्मचारियों की लंबित मांगों पर गौर करते हुए शीघ्र पूरा करने का कष्ट करें।