जशपुर
आदमी की ऑंखें ना हों तो उसकी पूरी जिंदगी बेनूर हो जाती है, जीवन अंधकारमय हो जाता है, यदि वो लड़की हो तो उसका जीवन कठिन हो जाता है और माँ बाप की माली स्थिति ठीक नहीँ हो तो जिंदगी पहाड़ जैसी हो जाती है. सपने देख सकती हैं पर उसे पूरा करने मै दृष्टिबाधिता आड़े आ जाती चाह कर भी अपने कदम आगे नहीँ बढ़ा सकती है जीवन सहारों पर बसर होती है लेकिन जिसके हौसले मजबूत हो उनके लिएकोई भी बाधा उनको उनके मंजिल की ओर जाने से रोक नहीँ पाती. आगे बढ़ने के लिए रौशनी की राह दिखाई पड़ ही जाती है और एक नया राह उनके लिए बन जाता है जिले के दूरस्थ छर्रा गाँव के प्रियंका चौहान के लिए भी क्षेत्रीय विधायक यू. डी. मिंज ऐसे
ही उम्मीद की किरण बन कर आये है जिससे अब प्रियंका अपने सपनों की उड़ान भर सकेंगी
ऐसी ही कहानी एक छोटे से गाँव की लड़की की है जो अपने जीवन में शिक्षा का उजियारा चाहती है. ज़ब उसकी मुलाक़ात एक छर्रा गाँव में कार्यक्रम के दौरान संसदीय सचिव यू. डी. मिंज से हुई तो उसने अपनी बात उन्हें बताई तो उन्होंने उसकी पढ़ाई का जिम्मा लेने की घोषणा की. वो जब तक पढ़ना चाहेगी तब तक उसकी पढ़ाई की व्यवस्था करेंगे.
छर्रा गाँव के मजदूरी का काम करने वाले मजदूर चैतू राम की पुत्री प्रियंका चौहान कार्यक्रम के दौरान विधायक यू. डी. मिंज से मिलने पहुँची और उसने अपनी इक्षा से अवगत कराया. प्रियंका ने बताया की उसके माँ पिताजी बहुत ही गरीब है और मजदूरी का काम करके परिवार का भरण पोषण करते है और वह दृष्टिबाधित दिव्यांग है इस कारण परिवार के आगे बढ़ने में किसी भी प्रकार से सहयोग नहीँ कर पाती है जिसके कारण दुःख होता है उसने बताया की मुझे और पढ़ना है और जीवन में कुछ हासिल करना हैं और परिवार गाँव का नाम रौशन करना है यह मेरी इक्षा है
प्रियंका ने बताया की उसने आठवीं तक दृष्टिबाधित दिव्यांग स्कूल जशपुर से आठवीं तक और दृष्टिबाधित दिव्यांग स्कूल रायपुर से पढ़ाई की है. मुझे आगे पूरी पढ़ाई करनी है लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीँ होने के कारण मै आगे की पढ़ाई नहीँ कर पा रही हूँ. उसने बताया की पढ़ाई पूरी करके वह आईएएस बनना चाहती है लेकिन आगे की ही पढ़ाई नहीँ हो पा रही है. उसने बताया की उसने अपनी बात विधायक यू. डी. मिंज से बताई और उन्होंने उसकी आगे की पढ़ाई का जिम्मा लिया है
संसदीय सचिव एवं यू. डी. मिंज ने कहा की प्रियंका चौहान के जज्बे को सलाम करता हुँ दृष्टिबाधित होने के बाद भी शिक्षा पाने के लिए और सफलता के मंजिल तक पहुंचने के लिए उसमें जो हौसला और उमंग है,उसका मै कायल हो गया हुँ उसने जो मुझसे अपेक्षा की हैं उसके सपने को उड़ान जरूर मिलेगी उसके आगे की पढ़ाई का व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी मैं लेता हूँ उसे किसी भी प्रकार की बाधा नहीँ आने दूंगा. उन्होंने कहा की गरीबी के कारण चैतू राम अपनी बेटी को पढा नहीँ पा रहे है इसमें परिवार को निराश होने की जरुरत नहीँ आज से वो मेरी बेटी है उसके सपने के पँख को परवाज जरूर मिलेगी.