कोरबा ग्रामीण क्षेत्रों में रेत घाट शुरू नहीं होने से जिले मे स्वीकृत 23 हजार पीएम आवास का काम ठप पड़ गया है। आवास के लिए किश्त जारी होने के बाद निर्माण जारी रखने के लिए लोगों को ब्लैक में रेत की खरीदी करनी पड़ रही है। मानसून के दौरान रेत उत्खनन व परिवहन पर ग्रीन ट्रिब्यूनल का प्रतिबंध हटने के 22 दिन बाद एक मात्र कटघोरा के कटोरी नगोई घाट की शुरूआत हुई है। जिला खनिज विभाग की ओर से 12 रेत घाटों का चिन्हांकन किया गया है। जिसमें दो रेतघाट कुदुरमाल और चुईया को पर्यावरणीय अनुमति मिल गई है। आचार संहिता के कारण घाट शुरू नहीं की है।
समय रहते घाटाें के संचालन नहीं किए जाने से लोगों को महंगे दामों में रेत की खरीदी करनी पड़ रही। नदी और नालों से जमकर रेती की अवैध ढुलाई की जा रही है। एक ओर प्रशासनिक अमलों में प्रध्ाानमंत्री आवास निर्माण में प्रगति लाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर रेत घाट स्वीकृत नहीं होने से आवास के हितग्राहियों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। आवास निर्माण के लिए किसी भी प्रकार की रियायत नहीं दिए जाने के कारण लोगों को रेत माफियाओं से औने-पौने दाम पर रेत खरीदी करनी पड़ रही है।
उल्लेखनीय है कि जिला खनिज विभाग की ओर अभी तक 12 रेतघाटाें को शुरू करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जानी थी। दरअसल रेत माफियाओं को प्रश्रय देने लिए घाटों को समय पर शुरू करने में देरी की जाती है। इन दिनो शहरी क्षेत्र में एक भी रेत घाट का संचालन नहीं हो रहा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में केवल एक मात्र संचालित हो रहा है। पर्याप्त घाटों का शुरू नहीं होना आवास निर्माण की प्रगति में रोड़ा बना हुआ है। वर्ष 2023 में 16 हजार आवास स्वीकृत हुए हैं, जबकि सात हजार आवास ऐसे हैं, जिनका दूसरा और तीसरा किश्त जारी होने का इंतजार है। रेत की समस्या को देखते हुए ब्लैक में उपलब्ध कराने वाले बीचौलिए सक्रिय हो गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों तक खनिज अमले की पहुंच नहीं होने का औने- पौने दाम में रेत खपाने वालों का कारोबार फल-फूल रहा है।
महंगा साबित हो रहा आवास
आवास निर्माण के लिए ईंट, सीमेंट, छड़, गिट्टी और रेती उपलब्ध कराने के लिए बीचौलिए गांव में सक्रिय हो गए हैं। आवास निर्माण में रेती की कीमत जिस तरह से आंकी जा रही है उससे निर्माणाधीन भवन महंगा साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भवन निर्माण के एवज में 1.45 लाख प्रदाय किया जा रहा है। किश्त जारी होते ही बीचौलिए सामाग्री उपलब्ध कराने के लिए लिए पहुंच जाते हैं। सरकारी भवन अथवा पुल आदि निर्माण के लिए भले ही प्रशासन ने रेत उत्खनन रियायत दी है किंतु आवास निर्माण के लिए अब तक कोई रियायत नहीं दी गई है।