गंभीर रूप से बीमार बुजुर्ग को पालकी में बैठाकर बुजुर्ग को 3 किलोमीटर पैदल चलकर ग्रामीण पहुंचे मुख्य मार्ग।
जशपुर सन्ना:- एक ओर प्रदेश सरकार विशेषकर पहाड़ी कोरवाओं की दशा सुधारने विभिन्न प्रकार की योजनाएं लागू कर रही है लेकिन आज भी जशपुर जिले में कई ऐसे गांव हैं जहां के ग्रामीणों को आज तक मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिली है आज भी लोग बीमार व्यक्ति को गेडूवा भार में ढोकर अस्पताल ले जाने मजबूर हो गए हैं।
यह पूरा मामला जिले के बगीचा जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत मरंगी के पहाड़ी कोरवा बस्ती चुरिलकोना की है जहां के लोगों को आज तक सड़क नसीब नहीं हुई है । जिससे वहां के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं का दंश झेल रहे हैं ।
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ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से कई बार कर चुके है सड़क बनाने की मांग।
गांव के देवसाय राम ने बताया की हम ग्रामीणों के द्वारा पूर्व में भी कई बार शासन प्रशासन को हमारी समस्याओं से अवगत करा चुके है साथ ही पिछले कांग्रेस सरकार तथा वर्तमान में भाजपा के जनप्रतिनिधियों को भी सड़क की समस्याओं से अवगत कराए हैं , लेकिन किसी अधिकारी के द्वारा आज तक हमारे गांव में न जांच करने पहुंचे न ही जनप्रतिनिधियों ने हमारी सुध ली है ।
सड़क नही होने के वजह से पहले हो चुकी है दो लोगों की मौत
ग्रामीणों ने आगे बताया की
जशपुर जिले की मरंगी (चुरील कोना) में आज से दो वर्ष पूर्व एंबुलेंस नहीं आने तथा अस्पताल लेजाने में विलम्ब होने के कारण 2 लोगों की मौत हो चुकी है ।
इस गांव में सड़क की सुविधा नहीं होने से गर्भवती महिला या फिर अन्य मरीजों को आज भी मुख्य सड़क तक ले जाने के लिए लोग कांवड़ और पालकी का सहारा लेते हैं. छत्तीसगढ़ की सरकार भले ही आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जशपुर में विकास के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. इस क्षेत्र के ग्रामीण आज भी अपने गांवों में मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. इन गांवों में ना स्वास्थ्य सुविधा और न ही सड़क है. यही वजह है कि जशपुर के अंदरूनी ग्रामीण अंचलों में आज भी आदिवासियों की जिंदगी एक पालकी पर टिकी हुई है.
हालांकि जहां यह गांव स्तिथ है वहां चारों ओर फॉरेस्ट की जमीन है तथा सड़क भी वन विभाग के अंतर्गत ही बनेगा लेकिन इसमें वन विभाग भी सड़क बनाने को लेकर किसी प्रकार की कोई पहल नहीं की गई है ।
मामले में सड़क की प्रक्रिया जानने DFO वनमंडलाधिकारी जशपुर जितेंद्र उपाध्याय से दूरभाष से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनके द्वारा कॉल का कोई जवाब नहीं दिया गया । देखा जाय तो यह भी एक बेहद गंभीर व संवेदनशील मामला है क्योंकि अधिकारियों का फोन कॉल का जवाब न देना बड़ी लापरवाही दर्शाती है ।