कुनकुरी/जशपुरनगर :- छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में फर्जीवाड़ा कर विदेशी नागरिक के नाम पर खरीदी गई आदिवासी की जमीन के मामले में कलेक्टर डा रवि मित्तल ने रजिस्ट्री को निरस्त करते हुए भू स्वामी को 4.1 एकड़ जमीन वापस करने का आदेश जारी किया है।
वहीं, कलेक्टर के आदेश पर कार्रवाई करते हुए राजस्व विभाग ने संबंधित जमीन को भूमि स्वामी विरेन्द्र लकड़ा के नाम पर नामांतरित कर दिया है।
बता दें, मामला जिले के कुनकुरी तहसील का है। प्रार्थी विरेन्द्र लकड़ा के अधिवक्ता रामप्रकाश पांडे ने बताया कि जिले के नारायणपुर थाना क्षेत्र के गिनाबहार के रहवासी प्रार्थी विरेन्द्र लकड़ा के पूर्वज पतरस एक्का पिता वुमनू एक्का से 22 दिसंबर 1950 में 900 रूपये में खरीदा गया था। इस जमीन को क्रय करने के लिए रायगढ़ जिले के तात्कालीन डिप्टी कमिश्नर से अनुमति लेकर गर्वनिंग बाडी आफ लोयोला प्रबंधक गवर्निंग बाडी आफ लोयला हाईस्कूल के नाम पर पंजीकृत किया गया था।
वहीं, इस पंजीकरण के बाद भी प्रार्थी के पूर्वज जमीन पर कृषि कार्य करते रहे। बाद में संस्था ने इस बाउंड्री सहित अन्य निर्माण कार्य कर कब्जा कर लिया। वादी ने अपने पूर्वजों विरेन्द्र लकड़ा ने अपने पूर्वजों की जमीन पर कब्जा प्राप्त करने के लिए कुनकुरी के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के न्यायालय में वाद दायर किया था। इस वाद को एसडीएम के न्यायालय ने यह तर्क देते हुए खारिज कर दिया था कि पंजीकरण की तिथि को धारा 170 ख लागू नहीं हुई थी और जमीन की खरीदी तात्कालिन डिप्टी कमिश्नर की पूर्वानुमति लेकर विधि सम्मत तरीके से किया गया था। एसडीएम के इस आदेश के विरूद्व विरेन्द्र एक्का ने कलेक्टर के न्यायालय में अपील दायर की थी।
हालांकि, आवेदक और अनावेदकों द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्क और दस्तावेजों की जांच करने के बाद कलेक्टर डा रवि मित्तल ने अपीलार्थी के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए वाद की भूमि वापस करने का आदेश जारी किया है। जारी किए गए आदेश में कलेक्टर ने कहा है कि वादी विरेन्द्र लकडा की जमीन एक संस्था के नाम पर अर्जित की गई है। संस्था को अनारक्षित श्रेणी में रखा गया है। इस लिहाज से आदिवासी की जमीन को गैर आदिवासी को बेचना विधि मान्य नहीं है। इसके साथ ही जमीन पंजीकरण के समय संस्था प्रमुख के रूप में लोयला हाईस्कूल के तात्कालिन प्राचार्य एच गिर्टस का हस्ताक्षर है। एच गिर्टस मूल रूप से बेल्जियम के रहवासी थे। भारत में किसी भी विदेशी नागरिक को अचल संपत्ति अर्जित करने का कानूनी अधिकार नहीं है। इस कारण भी जमीन की यह खरीदी पूरी तरह से अवैधानिक है।
सूचना का अधिकार से हुआ राजफाश
वहीं, अधिवक्ता रामप्रकाश पांडे ने बताया कि अपीलार्थी विरेन्द्र लकड़ा के पूर्वजों से खरीदी गई जमीन के क्रेता एच गिर्टस के विदेशी होने का राजफाश सूचना का अधिकार से हुआ। उन्होनें बताया कि उन्होंने संबंधित संस्था में सूचना का अधिकार लगा कर जब एच गिटर्स के निवास के संबंध में जानकारी निकाली तो यह बात सामने आई कि जमीन खरीदी के समय लोयला हाईस्कूल के प्राचार्य और भूमि क्रय करने वाली संस्था सुपेरियर सोसायटी आफ यीशु समाज के उप प्रबंधक एच गिट्स बेल्जियम के निवासी थी। भूमि क्रय और पंजीकरण के दौरान इस तथ्य को छिपाते हुए स्वयं को भारत के कुनकुरी का निवासी बताया था। कलेक्टर डा रवि मित्तल ने अपने निर्णय में इसे भी अवैधानिक माना है।
मुआवजा पर फंसा पेंच
दरअसल, कलेक्टर के निर्णय के बाद कटनी गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 के चौड़ीकरण के लिए इस विवादित जमीन के अधिग्रहण के दौरान दिए गए मुआवजा को लेकर पेंच फंस गया है। अधिवक्ता रामप्रकाश पांडे ने बताया कि अधिग्रहित जमीन के एवज में सरकार ने 3 करोड़ 75 लाख रूपये का भुगतान किया था। यह भुगतान भी जमीन क्रेता संस्था के खाते में जमा की गई है। इस राशि को मूल भूमि स्वामी विरेन्द्र लकड़ा को दिलाने के लिए अलग से वाद दायर किया गया है।
22 एकड़ जमीन का है पूरा मामला
फिलहाल, कैथोलिक ईसाई संस्था और किसान के बीच चल रहे जमीन का यह पूरा विवाद 22 एकड़ है। अधिवक्ता पांडे ने बताया कि विरेन्द्र लकड़ा के पूर्वज पतरस कुल 26 एकड़ जमीन के स्वामी थे। इनमें से 22 एकड़ जमीन को कैथोलिक संस्था ने अवैध तरीके से क्रय किया है। सभी भूमि अलग अलग खसरा नंबर का होने के कारण अलग वाद दायर किया गया है। अभी ये वाद न्यायालय में विचाराधीन है।
“मामले में आवेदक और अनावेदकों के तर्क और प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच के बाद कलेक्टर के न्यायालय ने निर्णय सुनाया है. निर्णय के बाद राजस्व विभाग ने संबंधित जमीन का रिकार्ड अपीलार्थी विरेन्द्र लकड़ा के नाम पर नामातंरित कर दिया है. एनएच के लिए अधिगृहित जमीन के मुआवजा के लिए अलग से वाद दायर किया गया है”- रामप्रकाश पांडे,अपीलार्थी विरेन्द्र एक्का के अधिवक्ता
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रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर