पत्थलगांव– आवारा पशुधन के चलने वाले रास्तों एवं सड़कों पर आने-जाने से समस्या को देखते हुए पशुओं के गले मे रेडियम लगाया गया ताकि पशुओं के जान के साथ इंसान के खतरों को भी रोका जा सके ।
छग शासन के निर्देशानुसार रोका छेका कार्यक्रम के तहत जिले के नगरीय क्षेत्रों में इधर उधर घूम रहे आवारा मवेशियों के धरपकड़ की कारवाई करते हुए कांजी हाऊस में डाला जा रहा है। साथ ही राजकीय राजमार्ग में दुर्घटना को रोकने हेतु सड़क में घमने वाले आवारा पशुओं को रेडियम बेल्ट भी लगाया जा रहा है।नगरीय प्रशासन व पशु चिकित्सा विभाग के द्वारा सड़क पर घूमने वाले मवेशियों के कान में घूमंतु पशुओं को टैग लगाया जा रहा है ताकि उनकी दूर से पहचान हो सके ।
इसी सिलसिले में पत्थलगांव शहर में विगत दिनों से सड़कों किनारे आवारा पशुओं के जमा होने से दुर्घटना की संभावना बनी हुई है। जिसके निवारण हेतु पशु विभाग द्वारा शनिवार को करीब 20 से अधिक पशुओं को टैगिंग एवं रेडियम बेल्ट पहनाया गया है।देर शाम फिर टैगिंग और बेल्ट लगाया जाएगा।जिससे वाहन चालक पशुओं के लिए खतरा ना बन सके और सड़कों किनारे बैठे पशुओं को सुरक्षित किया जा सके।
इस मौके पर गौ सेवा आयोग के सदस्य शेखर त्रिपाठी द्वारा आवारा और घुमंतु पशुओं के कानों में टैग एवं गले में रेडियम बेल्ट लगाकर उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि किसानों की फसल को नुकसान ना पहुंचे जिसे ध्यान में रखते हुए पशु पालक अपने पशुओं को घर में ही बांधकर रखें एवं उचित देखभाल करें।इस दौरान पशुधन विकास विभाग की ओर से डॉ बीपी भगत,डॉक्टर दिनेश पैंकरा,केके पटेल,बीआर सक्सेना सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी एवं रामलाल,अरुण,दीपक,लक्ष्मी परिचारक तथा नगर पंचायत से कर्मचारी मौजूद रहे।
विदित हो कि सड़कों पर घुमने वाले पशुओं की समस्या और इसका समाधान विभिन्न क्षेत्रों में एक बड़ी समस्या है एवं इसका समाधान विभिन्न तरीकों से किया भी जा रहा है।लोगों को पशुओं के सड़कों पर आने के प्रभावों के बारे में जागरूक करने और उन्हें सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करने के लिए पशुपालकों से अपील की जा रही है कि पशुओं को सड़क दुर्घटनाओं से बचाने के लिए नगरीय क्षेत्रों में मुनादी भी कराई जा रही है एवं पशुओं को खुले में ना छोड़ने की अपील की जा रही है।क्योंकि यह समय खेती बाड़ी का समय है ऐसे में पशुओं से फसल को बचाने के लिए भी पशुपालकों को समझाइश दी जा रही है।अक्सर देखा जाता है कि पशु चारा कि तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से विचरण करते हुए रिहायशी इलाकों में आ पहुंचते है जिसकी भनक पशु पालकों को भी नहीं होती।वही पशुपालकों को अवगत कराया जा रहा है कि पशुओं की आवारा घुमते हुए मवेशी पाए जाने पर कांजी हाउस में डालने की कार्यवाई की जाएगी।