वर्ष 2009 से 2014 तक सर्व शिक्षा अभियान का संचालन हुआ। इस दौरान इस योजना के अंतर्गत स्कूल भवन, अतरिक्त, लैब, लायब्रेरी, दिव्यांगों के लिए रैंप आदि मिलाकर 6000 से भी अधिक कार्यों की स्वीकृति हुई।
कोरबा सर्व शिक्षा अभियान का शिक्षा विभाग में संविलियन को आठ साल हो चुका है। इन सात वर्षों में 23 करोड़ की लागत से बनने वाले 250 अधूरे स्कूलों का काम पूरा नहीं हुआ है। हैरत की बात यह है निर्माण कार्य को पूरा किए बगैर ही राशि जारी हो चुकी है। तत्कालीन समय में निर्माण के लिए ग्राम पंचायतों को एजेंसी बनाई गई थी।
पूर्व सरपंचों के कार्यकाल में निर्माणाधीन कार्यो की राशि को शिक्षा विभाग द्वारा न तो वसूली की गई और ना ही निर्माण के लिए नया प्राक्क्लन तैयार किया गया। लंबे समय से अधूरे कार्य अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। अधूरे निर्माण के कारण छात्र-छात्राओं को तंग कमरों में पढ़ाई करनी पड़ रह है। सर्वशिक्षा अभियान मद से शिक्षा के विकास के लिए जारी राशि का आकलन किया जाने पर हासिल शून्य तो नहीं किंतु संतोष जनक भी नहीं है।
वर्ष 2009 से 2014 तक सर्व शिक्षा अभियान का संचालन हुआ। इस दौरान इस योजना के अंतर्गत स्कूल भवन, अतरिक्त, लैब, लायब्रेरी, दिव्यांगों के लिए रैंप आदि मिलाकर 6000 से भी अधिक कार्यों की स्वीकृति हुई। इन स्वीकृत कार्यों में 250 कार्य अब भी अधूरे हैं। मिर्नाण किए बगैर राशि को आहरित किया जा चुका है। जिसे वसूल करने का साहस अब विभाग के बूते से बाहर नजर आ रहा है। यही वजह है कि लंबे समय से अधूरे निर्माण के स्कूल अतिरिक्त कक्ष अब खंडहर में तब्दील हो चुके है।
कोरबा विकासखंड के ग्राम भुलसीडीह के प्रायमरी स्कूल में निर्मित अतिरिक्त भवन सात साल से अधूरा पड़ा है। इसी तरह ग्राम नक्टीखार का भी अतिरिक्त कक्ष भवन की जर्जर दशा को छह साल हो चुकी है। पंचायती राज व्यवस्था के तहत प्रतिनिधि भी बदल चुके हैं लेकिन वर्तमान में इन स्कूलों की दशा ज्यों की त्यों बनी हुई। पंचायत चुनाव के दौरान कभी वर्तमान प्रतिनिधियों द्वारा अधूरे निर्माण कार्यों को प्रगति दिए जाने की बात कही गई थी।
जिन कार्यों का निर्माण अधूरा है उनमें प्राथमिक शाला भवन, माध्यमिक शाला भवन, अतिरिक्त कक्ष, प्रधानपाठक कक्ष, शौचालय, फ्रेंडलीटायलट आदि शामिल है। जहां तक 2009 से पहले के अधूरे निर्माण कार्यों की बात की जाए तो अकेले पोंड़ी उपरोड़ा विकासखंड में 23 कार्य हैं।
जिसके लिए एक करोड़ से भी अधिक राशि की स्वीकृति के बाद लाखों का आबंटन हो चुका है। इसके बावजूद भी निर्माण कार्य की दशा दयनीय बनी हुई है। पूर्व निर्माण कार्यो कें लिए सरपंचों से वसूली करने का दायित्व बीआरसी को दिया गया था। किंतु तक कितनी राशि की वसूली की सकी है इसकी जानकारी विभाग के पास भी नहीं है।