जशपुर :- छत्तीसगढ़ के जयपुर जिले में विक्षोभ और समुद्री तूफान के असर से सोमवार से रूक रूक कर हो रही वर्षा ने जिले के धान उत्पादक किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। किसानों को खेत में खड़े और कटी हुई फसलों की चिंता सता रही है।
दरअसल, मौसम की इस बेईमानी से आने वाले दिनों में साग सब्जियों के दाम पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। और अचानक इस बारिश की वजह से किसानों की परेशानी बढ़ गई है।
जानकारी के मुताबिक, मौसम साफ होने पर ठंड का प्रकोप बढ़ना भी तय माना जा रहा है। वहीं प्रशासनिक अधिकारी धान खरीदी केन्द्रों में किसानों से खरीद कर रखे हुए धान की सुरक्षा के लिए हाथ पैर मार रहें हैं। उल्लेखनीय है कि जिले में चालू विपणन वर्ष 2023-24 के लिए समर्थन मूल्य में सरकारी मंडियों में किसानों से खरीदे जा रहे धान में अब तक 8291 क्विंटल खरीदी की जा चुकी है।
फिलहाल, विपणन विभाग के अनुसार जिले में अब तक 13.66 प्रतिशत किसान ही धान बेचने के लिए मंडी तक पहुंचे हैं। आंकड़ों के अनुसार जिले में चालू वर्ष के लिये 45832 किसानों का पंजीकरण किया गया है। प्रदेश सरकार से जिला प्रशासन को 23 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य मिला है। लेकिन इस साल मानसून में हुए उतार चढ़ाव के कारण धान की बुआई में हुई लेट लतीफी का असर धान कटाई में देखने को मिल रहा है। दिसंबर का पहला सप्ताह समाप्त होने तक जिले में धान कटाई और मिसाई का काम पूरा नहीं हो पाया है।
ज्ञात हो कि, अब भी खेतों में धान की फसल खड़ी हुई है और बड़ी मात्रा में कटी हुई फसल,खेतों में भी पड़ी हुई है। ऐसे में मौसम के जल्द साफ ना होने पर खेतों में पड़े हुए फसल से अंकुरण फूटने का भय किसानों को सताने लगा है। वहीं किसान बारिश से धान की गुणवत्ता प्रभावित होने पर इसके मंडी में रिजेक्ट होने की आशंका से भी भयभीत नजर आ रहें हैं।
मंडियों में धान बचाने में जुटे कर्मचारी
बता दें कि, सोमवार की सुबह से रूक रूक कर हो रही वर्षा से जिले के धान खरीदी केन्द्रों में जमा धान को बचाने के लिए कर्मचारियों को मशक्कत करनी पड़ी। दिसंबर से जनवरी के बीच हर साल होने वाली वर्षा को देखते हुए,प्रशासन ने सभी धान खरीदी केन्द्रों को धान की बोरियों को ढकने के लिए प्लास्टिक की तिरपाल उपलब्ध करा दिया था। जिले में धान खरीदी के लिए 46 केन्द्र बनाएं गए हैं। हालांकि मौसम और विधानसभा चुनाव के कारण अभी तक किसानों के इन केन्द्रों तक पहुंचने की गति सुस्त है। इसलिए केन्द्रों में धान का जमाव भी अधिक नहीं हुआ है।
रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर