सारंगढ़ के कई और सोसायटी मे चल रहा है फ़र्जी पंजीयन का खेल? उन पर कार्यवाही कब? पूछता है किसान…. पत्रकारों के शिकायतों पर भी अधिकारी नही करते थे कार्रवाई ?
सारंगढ़: रायगढ़ जिले मे रहकर भी सारंगढ़ के कई सोसायटी हनेशा संदेह के घेरे मे रहते थे, अब सारंगढ़ जिला बनने के बाद तो मानो समिति प्रबंधकों की लॉटरी खुल गई हो? राजनितिक आकाओं के संरक्षण मे समिति प्रबंधको के हौसले इस कदर बुलंद है की जो कभी नही था। पहले सरना – मोटा का खेल, किसानो से धान भराई और तौलाई के नाम पर पैसा वसूली, फ़र्जी डीओ अब इनके पुराने पैतरे हो गये हैँ अब तो सीधे फ़र्जी पंजीयन कर करोड़ों डकारने की हुनर सीखकर सरकार और भोली भाली जनता को लुटकर तिजोरी भरने का काम खुलकर करने लगे हैँ। हम नही कहते कि सभी सोसायटी भ्रस्ट हैँ लेकिन अधिकतर कि यही दशा है।
शिकायत पर कलेक्टर की कार्रवाई
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी डॉ. फरिहा आलम सिद्दीकी ने जिले में धान खरीदी के फर्जी पंजीयन के मामले में सख्त कार्यवाही करते हुए सारंगढ़ विकासखंड के सेवा सहकारी समिति मर्यादित कोसीर और गाताडीह के सहायक समिति प्रबंधक को पद से पृथक किया है। फर्जी पंजीयन की शिकायत पर कलेक्टर डॉ. सिद्दीकी ने तहसीलदार सारंगढ़ को पंजीकृत कृषकों के रकबा का सत्यापन के लिए निर्देशित किया था। सहायक पंजीयक व्यास नारायण साहू से प्राप्त जानकारी के अनुसार सेवा सहकारी समिति मर्यादित गाताड़ीह पंजीयन क्रमांक 402 के हल्का पटवारी के द्वारा रकबा जांच के दौरान खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में 105 किसानों का 99.292 हेक्टेयर संदेहास्पद पाया गया। इसी प्रकार पंजीकृत किसानों के फर्जी रकबा वृद्धि कर प्रविष्ट बैंक खाते में समिति कर्मचारियों के स्वयं का खाता क्रमांक जैसे गंभीर अनियमितता पाये जाने के कारण सहायक समिति प्रबंधक महेन्द्र कुमार टंडन को पद से पृथक किया गया है।
गाताडीह के समिति का संचालन आगामी आदेश तक कोतरी के सहायक समिति प्रबंधक ईश्वर प्रसाद साहू को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। इसी प्रकार कोसीर के धान उपार्जन केन्द्र में पंजीकृत 93 किसानों के रकबे में कुल 155.2706 हेक्टेयर फर्जी रकबा संदिग्ध होने एवं अवैध धान खरीदी की गंभीर अनियमितता के कारण सहायक समिति प्रबंधक राजेश रात्रे को पद से पृथक किया गया है। कोसीर समिति का संचालन अब सहसपुर के सहायक समिति प्रबंधक अनिल गोपाल को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
गाताड़ीह और कोसीर सोसायटी पर लगातार उठ रही थी उंगलियाँ ?
सारंगढ़ के बहुचर्चित गाताडीह और कोसीर सोसायटी मे किसानो के नाम पर लोन का मामला काफी गर्म रहा था। बताया जा रहा है कि इस सोसायटी मे किसानो ने नाम पर खाद-बीज का लोन फर्जी तरीके से चढ़ाये जाने और लिंकिंग मे किसानो के द्वारा बेचे जाने वाले धान के राशी मे से कर्ज को कटौती किये जाने का मामला काफी सुर्खियों मे रहा था। सूत्रों की माने तो राजनितिक कारण से पूरे मामले मे प्रशासन हाथ डालने से कतरा रहा था। इस कारण से पूरे पांच साल तक किसानो के नाम पर कर्ज और फर्जी पंजीयन जैसे मामले में कोई कार्यवाही नही हुई। किन्तु प्रदेश मे सरकार बदलते ही जिला प्रशासन का रूख भी बदल गया तथा गाताडीह और कोसीर सहकारी समिति मे ताबड़तोड़ कार्यवाही कर धान माफियाओ के माथे पर पसीना ला दिया है। कलेक्टर की आज की कार्यवाही के बाद आशा व्यक्त किया जा रहा है कि गत पांच सालो के दौरान भी इस सोसायटी मे किया गया खरीदी तथा भूमि पंजीयन के मामले की जांच कराई जाये तो करोड़ो रूपये का घपला और घोटाला सामने आ सकता है।
कई और सोसायटी में चल रहा है फर्जी पंजीयन का खेल?
सारंगढ़ के गाताडीह और कोसीर में हुए इस फर्जी पंजीयन के बडे खेल मे लगभग 628 एकड़ से अधिक की भूमि का फजीवाड़ा उजागर हुआ है। वही आसपास के भी एक दर्जन से अधिक सोसायटी मे भी फर्जी पंजीयन का बड़ा खेल राजस्व विभाग के पटवारियो और सोसायटी के समिति प्रबंधको के मिलीभगत से किया गया है। सारंगढ़ में करोड़ो रूपये के इस फर्जीवाड़े की जांच अति-आवश्यक है। महानदी मे डूबान भूमि पर भी धान की फसल लग जा रही है तथा जशपुर सोसायटी में उनके नाम पर बिक भी जा रही है इस मामले मे भी संज्ञान लेने की आवश्यकता महसूस हो रही है। गिरदावरी की रिपोंट राजनितिक दबाव मे तैयार करवाया जा रहा है। ऐसे मे इस बात की जांच महसूस किया जा रहा है कि लगभग एक दर्जन से अधिक की सोसायटी के भूमि पंजीयन और किसानो के नाम पर कर्जा का मामला की सूक्ष्म जांच कराकर दोषियो पर कड़ी कार्यवाही किया जाये।
पत्रकारों के शिकायत पर भी सक्षम अधिकारी नही करते थे कार्रवाई ?
विगत वर्ष मीडिया द्वारा बोरी से बोरी पलटी, धान भराई मे किसानों से पैसा वसूली, तौल मे गड़बड़ी साहित दर्जनों अनियमितता कि शिकायत अंचल के पत्रकारों द्वारा सक्षम अधिकारियों को की गई थी, परन्तु अधिकारियों के कानो मे जूँ तक नही रेंगी! शायद चुनावी सीजन होने के कारण उन्हे भी कार्रवाई ना करने कि हिदायत दी गई हो? अब देखते हैँ इस सीजन जब धान की कीमत और क्विंटल मे बढ़ोत्तरी की बात कही जा रही है ऐसे मे व्यापारियों और कोचियों पर क्या प्रशासनिक कसावट होती है या फिर वही ढर्रा साही से जनता को रूबरू होना पड़ेगा? देखना दिलचस्प होगा….