Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ के मनेंद्र-चिरमिरी-भरतपुर जिले में विशेष जनजाति कहे जाने वाले बैगा जनजाति के लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही है, लेकिन वन विभाग में बैठे अधिकारी उन्हें लूट रहे हैं.
बता दें कि, इन बैगाओं से अवैध वसूली (Illegal Recovery) की जा रही है. वे भी मजबूरी में योजनाओं से लाभ मिलने की आस में अनाज बेचकर या कर्ज लेकर इन भ्रष्टाचारियों को अपनी गाढ़ी कमाई दे देते हैं, लेकिन अंत में इनके हाथ कुछ नहीं लगता.
20 हजार रुपये की वसूली का आरोप
हालांकि, ऐसा ही मामला वन मंडल मनेंद्रगढ़ अंतर्गत वन परिक्षेत्र बहरासी का आया है, जहां वन विभाग में पदस्थ फारेस्टर सुरेश सिंह ने वन अधिकार पट्टे के नाम पर शिवमंगल बैगा ग्राम कुदरा निवासी से 20 हजार की राशि वसूली करने का आरोप लगा है. वहीं, शिवमंगल ने बताया कि सुरेश सिंह फारेस्टर ने उन्हें कहा कि कुछ खर्चा करो पट्टा बनावा दूंगा, जिसके एवज में 10-10 हजार रुपये रिश्वत के रूप में दो बार पत्नी ने दिया है.
जमीन पर 2001 से काबिज है पीड़ित
वहीं, बेटे से देशी मुर्गा और शराब लिया है. बाद में अब जमीन पर जाने से गाली-गलौज किया जा रहा है. पीड़ित बैगा का कहना है कि वह सपरिवार पी-1268 में 12 एकड़ भूमि पर 5 खेत, झोपड़ी, 6 आम, 3 कटहल पेड़ लगाकर वर्ष 2001 से काबिज है,अपने बाल-बच्चों के साथ गुजर बसर कर रहा है. मामले में फारेस्टर सुरेश सिंह ने अपनी बीट भी बदलवा लिया है. अपने ऊपर लगे अवैध वसूली के आरोप को झूठ बता रहे हैं.
फिलहाल, अब देखना यह है कि गरीब बैगा आदिवासी परिवार को न्याय मिल पाता है, या वन विभाग के अधिकारियों अपने कर्मचारी को बचाने के लिये लीपापोती कर उलटा बैगा परिवार को ही ग़लत साबित कर देंगे.
रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर