Chhattisgarh NEWS/बिलासपुर :- छत्तीसगढ़ की हाईकोर्ट ने रेप पीड़ित महिला और उसके परिवार के खिलाफ दर्ज 8 एफआईआर पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट में चल रहे सभी ट्रायल पर भी रोक लगाई है.
मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डीबी ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर राज्य में चल क्या रहा है? एक दुष्कर्म पीड़िता दलित महिला के पूरे परिवार के खिलाफ 8 आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया गया. अब पूरा परिवार जीवन भर मुकदमा लड़ेगा. यह पावर का मिस यूज है. एजी साहब आप इसे खुद देंखे.
बता दें कि बिलासपुर जिले की रहने वाली दलित विवाहित महिला ने सिटी कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि साल 2018 से 12 दिसंबर 2019 के बीच रायपुर के न्यू कॉलोनी टिकरापारा के रहने वाले आरोपी पियूष तिवारी ने खुद को अविवाहित और डीएसपी बताकर शादी करने का प्रलोभन दिया. फिर उसके साथ दुष्कर्म किया. जब पीड़िता को पता चला कि आरोपी न तो डीएसपी है और न ही अविवाहित है तब उसने रिश्ता खत्म कर लिया. फिर आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म के साथ ही एससीएसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करा दिया.
कोर्ट ने जारी किया नोटिस
वहीं, पीड़िता का कहना है कि आरोपी पियूष तिवारी और उसके मित्र आईपीएस अरविंद कुजूर ने आरोपी महिला को धमकी दी कि वह उसे किसी भी केस में फंसा सकते हैं. केस वापस लेने का दवाब बनाया. तब वह अपने घर चली गई और साल 2018 में इंदौर में शादी कर ली. शादी का पता चलने पर पियूष तिवारी ने कुम्हारी पुलिस थाने में धोखाधड़ी का झूठा केस दर्ज कराया और महिला के पिता, भाई और पति को गिरफ्तार करवाकर जेल भिजवा दिया. याचिका के मुताबिक इसमें उसके आईपीएस मित्र अरविंद कुजूर ने अपने पद का उपयोग किया. बाद में आरोपी पियूष तिवारी इस फर्जी मुकदमा के माध्यम से पीड़िता पर केस वापस लेने को लेकर राजीनामा करने का दबाव बनाया, लेकिन खुद का केस वापस नहीं लिया.
दरअसल, इसी बीच विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटी रायपुर ने को एट्रोसिटी एक्ट में सजा सुनाई. सजा होने के बाद आरोपी ने अपने आईपीएस मित्र की सहायता से पीड़िता के परिवारवालों के खिलाफ अलग-अलग थानों में 8 मुकदमा दर्ज कराया है. एक केस में जब पीड़िता के परिजन को जमानत मिलती थी, तो उससे पहले दूसरी एफआईआर दर्ज करा दी जाती. इससे महिला का परिवार लगातार जेल में रहा. इसके खिलाफ पीड़िता और उसके परिवार वालों ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की.
फिलहाल, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डीबी में मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले को गभीरता से लेते हुए महाधिवक्ता को कहा प्रदेश में क्या हो रहा. यह पावर का मिसयूज हो रहा है. आप चीफ सैकेट्री और पुलिस विभाग के चीफ से बात कर जवाब दें, ऐसा नहीं चलेगा. इसके साथ कोर्ट ने पीड़िता और उसके परिवार के खिलाफ चल रहे सभी मुकदमो की कार्रवाई पर रोक लगाई है. कोर्ट ने आईपीएस अरविंद कुजूर सहित सभी पक्षकार को नोटिस जारी किया है.
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रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर