Chhattisgarh NEWS/रायपुर :- छत्तीसगढ़ में पिछले 10 वर्ष में 65 हजार से ज्यादा किसानों ने कृषि कार्य में खतरनाक रसायन का प्रयोग बंद करते हुए जैविक खेती को अपना लिया है।
बता दें कि, इन वर्षों में एक लाख एक हजार एकड़ जमीन जैविक खेती में तब्दील हो चुकी है। केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का फायदा लेते हुए किसानों ने जैविक खेती का पीजीएस प्रमाणीकरण भी ले लिया है। जैविक फसलों में किसान बासमती, छत्तीसगढ़ी देवभोग, बादशाह भोग, दुबराज, जीराफुल, तुलसी-मंजरी सहित मक्का, कोदो-कुटकी,दाल-दलहन की फसलें उगा रहे हैं।
हालांकि, छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिले को पूर्णत: जैविक जिला घोषित किया जा चुका है। वहीं 2024-25 में 21 हजार 942 किसानों को जैविक खेती से लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 50 हजार किसानों के 93 हजार एकड़ के पीजीएस प्रमाणीकरण की कार्यवाही की जा रही है। वर्तमान में पीजीएस प्रमाणित एक लाख एकड़ से अधिक जमीन जैविक खेती में परिवर्तित हो चुकी है।
10 साल कर रहे जैविक खेती, मुनाफा तीन गुणा
वहीं, महासमुंद के गांव कसेकेरा निवासी थ्रियेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि वे बीते 10 वर्षों से पांच एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं। सामान्य चावल के मुकाबले जैविक पद्धति से उगाएं छत्तीसगढ़ी देवभोग की कीमत बाजार में तीन गुणा है। वे प्रति किलो 150 से 200 रुपये की दर से चावल बेचते हैं, जबकि बाजार में सामान्य चावल की कीमत 50 से 60 रुपये हैं। जैविक खेती के बाद उत्पादों के लिए मार्केटिंग की जरूरत नहीं पड़ती। घर से उठाव हो जाता है। धमतरी जिले के नगरी विकासखंड के जयचंद मरकाम ने बताया कि वे अपने खेतों में जैविक पद्धति से चावल, दाल-दलहन की खेती कर रहे हैं। उत्पाद हाथों-हाथ बिक रहे हैं।
एक नजर में
1. प्रदेश में विभागीय योजना अंतर्गत लगभग 65,000 किसानों के 41,000 हेक्टेयर रकबा का पीजीएस प्रमाणीकरण किया जा चूका है।
2. 50,000 किसानों के 38,000 हेक्टेयर रकबा को पीजीएस प्रमाणीकरण की कार्यवाही की जा रही है।
3. राज्य में पीजीएस इंडिया के माध्यम से जैविक फसलों के प्रणालीकरण के लिए 53 क्षेत्रीय परिषद् पंजीकृत है।
4. राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 2014 से राज्य पोषित जैविक खेती मिशन एवं वर्ष 2016 से केंद्र प्रवर्तित परंपरागत कृषि विकास योजना संचालित है। वर्तमान में 22 जिलों में योजना का संचालन किया जा रहा है।
पीजीएस प्रमाणीकरण क्या है ?
फिलहाल, पीजीएस इंडिया से प्राप्त सर्टिफिकेट के मुताबिक जैविक उत्पाद उगाने वाला किसान “प्रमाणित जैविक उत्पादक किसान” कहलाता है। जैविक उत्पादन की विभिन्न अवस्थाओं जैसे-उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण आदि का राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय जैविक मानकों के आधार पर निरीक्षण करने के उपरांत किसान को “प्रमाणित जैविक खेत/उत्पाद” का प्रमाण-पत्र दिया जाता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, जुलाई 2018 से समुचित लेबलिंग के बिना जैविक खाद्य उत्पादों को बेचना गैर-कानूनी माना गया है।
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रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर