Jagannath Mandir News/12वीं शताब्दी में बने जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के कितनी संपत्ति है, इसका हिसाब शुरू हो गया है. कल दोपहर शुभ मुहूर्त पर इस रत्न भंडार का 46 साल बाद गेट खोला गया. इस दौरान सरकार के प्रतिनिधि समेत 11 लोग मौजूद रहे.
वहीं, खजाना खोलने से पहले पुरी प्रशासन ने खास तरह के 6 बड़े-बड़े बॉक्स मंगवाए थे. इस दौरान भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी.
हालांकि, जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार गर्भगृह के बगल में बना हुआ है. अंतिम बार रत्न भंडार का दरवाजा 1978 में खोला गया था. ओडिशा सरकार का कहना है कि ऑडिट में कीमती पत्थरों से जड़े 149.6 किलोग्राम से अधिक सोने के आभूषण, 258.3 किलोग्राम चांदी के बर्तन और अन्य सामान शामिल थे. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी का कहना है कि उन्होंने रविवार को एसओपी के अनुसार सभी काम किए. सबसे पहले रत्न भंडार के बाहर वाले कमरे को खोला और वहां रखे सभी आभूषणों व कीमती सामानों को मंदिर के अंदर अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया. इसके बाद स्ट्रांग रूम को सील किया गया है.
लकड़ी के बक्से को नहीं खोला गया
वहीं, उनका कहना है कि टीम ने फिर आंतरिक कक्ष के तीन ताले तोड़े क्योंकि इन तालों की जो चाबियां दी गई थीं वह काम नहीं कर रही थीं, जिसके बाद ताला तोड़ने का फैसला लिया गया. टीम के सदस्यों ने समय की कमी को देखते हुए आंतरिक कमरे के अंदर रखे लकड़ी के बक्से को नहीं खोला. यहां रखे आभूषणों और जवाहरात को किसी दूसरे दिन मंदिर परिसर के अंदर एक अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया जाएगा. दरअसल,मंदिर प्रशासन सोमवार से बहुदा यात्रा और अन्य अनुष्ठानों में व्यस्त रहने वाला है.
दरअसल, राज्य की ओर से गठित ऑडिट सुपरवाइजरी कमेटी के प्रमुख जस्टिस (रिटायर्ड) बिस्वनाथ रथ का कहना है कि टीम ने आंतरिक कमरे में पांच लकड़ी की पेटियां, चार लकड़ी की अलमारियां और एक स्टील की अलमारी देखी है. इसके अलावा कई अन्य सामान भी हो सकते हैं क्योंकि उन्हें अभी अलमारियों के अंदर क्या रखा है, इसको भी चेक करना है. रत्न भंडार में दो खंड हैं, जिसमें पहला बाहरी कक्ष और दूसरा आंतरिक कक्ष है. बाहरी कक्ष को समय-समय पर तमाम अनुष्ठानों के लिए खोला जाता रहा है, जबकि आंतरिक कक्ष आखिरी बार 1978 में खोला गया था.
रत्न भंडार में सांप करते हैं रत्नों की रक्षा!
फिलहाल, रत्न भंडार का गेट खोलने के दौरान सुरक्षा के लिहाज से सांप पकड़ने वालों को भी बुलवाया गया क्योंकि आंतरिक रत्न भंडार से अक्सर फुफकारने की आवाजें आती रहती हैं. ये भी मान्यता है कि सांपों का एक समूह भंडार में रखे रत्नों की रक्षा करता है. रत्न भंडार खोलने का मकसद वहां मौजूद कीमती सामानों की डिजिटल लिस्टिंग है, जिसमें उनके वजन और निर्माण जैसे डिटेल होंगे, जबकि मरम्मत कार्य के लिए इंजीनियर्स रत्न भंडार का सर्वे करेंगे. श्री जगन्नाथ महाप्रभु, ओडिशा में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले भगवान हैं. यहां बड़े पैमाने पर चढ़ावा आता है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी ये रत्न भंडार ओडिशा में बड़ा सियासी मुद्दा रहा था.
—–>>०>0<०<<—–
रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर