रायपुर से राजनांदगांव के रास्ते हैदराबाद तक बनने वाले एक्सप्रेस-वे पर केंद्र सरकार ने रोक लगाई है, करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को केंद्र ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है, इसके पीछे के कारणों का फिलहाल खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन आदेश के बाद प्रभावित क्षेत्रों में मुनाफाखोरी की आस में जमीन की खरीदी करने वालों को तगड़ा झटका लगा है. वहीं फिलहाल प्रोजेक्ट के रोक के बाद अविभाजित जिले के प्रभावित क्षेत्र के 69 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर लगे रोक को भी हटाया जाएगा.
वहीं, प्रस्ताव के मुताबिक यह सड़क रायपुर से दुर्ग, राजनांदगांव, गढ़चिरौली, गोदपीपरी, आदिलाबाद, मैनरेरियल, रामागुंडम और करीमनगर होते हुए हैदराबाद तक बननी थी. छत्तीसगढ़ में 104 किमी और महाराष्ट्र में 77 किलोमीटर लंबी सड़क बननी थी. छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र को मिलाकर कुल 181 किमी और बाकी 338 किमी सड़क आंध्रप्रदेश में बननी थी.
अविभाजित जिले के इन गांवों से गुजरती एक्सप्रेस-वे
दरअसल, राजनांदगांव ब्लॉक में सिंधोला, सुरगी, महराजपुर, ढोदिया, जंगलेशर, कोटराभांठा, आरला, मोखला, कुसमी, भरेंगांव, टेड़ेसरा, इंदवानी, पारीखुर्द, सांकरा, देवादा एवं सोमनी गांव से होकर यह सड़क गुजरेगी. धुरिया ब्लॉक में ग्राम दैहान, धुपसाल, लाटमेटा, नरेठीटोला, सागर, कुमरदा, आमगांव, भंडारीभरवा, चांदो, मुचेदंड, कन्हारपुरी, देवरी, पांगरीकला, साल्हे, मनहोरा, अछोली. डोंगरगांव ब्लॉक में मोहड़, करियाटोला, माथलडबरी, बेदरकट्टा, दरी, खुज्जी, बधमार, करेठी भटगुना, नादिया, खुर्सीपार, भाखरी, रीवागहन, कुतुलबोड़ भांठागांव में सड़क बननी थी.
वनभूमि भी एक बड़ी समस्या
फिलहाल, रायपुर-हैदराबाद एक्सप्रेस-वे में मोहला, मानपुर से लेकर गढ़चिरौली के एक लंबे इलाके की जमीन वन भूमि है. वन भूमि को अधिग्रहित करने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. संभवतः इस वजह से अभी इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाला गया होगा. अधिग्रहण के लिए कार्रवाई शुरू करने की दिशा में भी काम शुरू कर दिया गया था. अचानक ब्रेक लगने से हड़कंप मच गया है.
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रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर