Chhattisgarh Elephant News/जशपुरनगर : छत्तीसगढ़ और ओड़िशा की अंर्तराज्यीय सीमा पर स्थित सागजोर में 28 हाथियों ने डेरा जमा दिया है। वन विभाग की डेली रिपोर्ट के अनुसार इनमें 27 हाथियों का बड़ा दल ओडिशा से आया है।
बता दें, वहीं दल से अलग होकर भटक रहा दंतैल पहले से ही यहां मौजूद है।
वहीं, हाथियों की इस हलचल को देखते हुए वन विभाग ने आसपास के ग्रामीण अंचल में एलर्ट जारी करते हुए ग्रामीणों को जंगल की ओर ना जाने और अंधेरे में घर से बाहर ना निकलने की अपील की है। स्थानीय रहवासियों ने बताया कि 27 हाथियों के इस बडे दल में दो नर हाथियों के बीच आए संघर्ष देखने को मिल रहा है। सुबह से लेकर रात तक जंगल में इन अतिकायों की भिड़ंत की भयंकर आवाज गूंजती रहती है। इससे आसपास के रहवासी भयभीत है।
दरअसल, हाथी विशेषज्ञ प्रभात दुबे का कहना है कि नर हाथियों में द्वंद्व एक सामान्य सी बात है। उन्होनें बताया कि द्वंद्व की स्थिति तीन कारणों से बनती है। उन्होनें बताया कि हाथियों के बीच सबसे भयंकर द्वंद्व समागम काल में देखने को मिलती है। इस समय दो समान उम्र के नर हाथियों के बीच मादा हाथी से समागम के लिए द्वंद्व होता है। यह द्वंद्व कई बार जान लेवा भी साबित होता है। दूसरे हाथी दल में अपना वर्चस्व साबित करने के लिए भी भीड़ जाते हैं। इसमें जीतने वाले हाथी को दल का नेतृत्व मिलता है। इसके अलावा कभी-कभी हाथी मनोरंजन के लिए भी द्वंद्व करते हैं। बहरहाल हाथियों की इन हलचल में वनविभाग के अधिकारी-कर्मचारी, मित्र दलों के साथ नजर जमाए हुए हैं।
तपकरा क्षेत्र बना स्थायी डेरा
फिलहाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड की अंर्तराज्यीय सीमा पर स्थित तपकरा वन परिक्षेत्र हाथियों का स्थायी डेरा बन चुका है। यहां साल के लगभग 12 महिने हाथियों की हलचल बनी रहती है। खासकर पेरवांआरा, सागजोर, टिकलीपारा के जंगल हाथियों को खूब भा रहा है। हाथी विशेषज्ञ प्रभात दुबे का कहना है कि हाथी अपने निर्धारित रास्ते और क्षेत्र में ही विचरण करते हैं। दूसरे क्षेत्र में जाने से उस क्षेत्र में रहने वाले हाथियों के दल से संघर्ष की स्थिति बन जाती है। हाथी इससे बचते हैं। उनका कहना है कि तपकरा क्षेत्र में मौजूद जंगल और प्रचुर मात्रा में मौजूद चारा व पानी हाथियों के रहवास के लिए अनुकूल परिस्थिति बनाती है।
“हाथियों के दल में संघर्ष सामान्य बात है. इसके कुछ कारण होते हैं. मेटिंग काल में होने वाला संघर्ष सबसे खतरनाक होता है”- प्रभात दुबे,हाथी विशेषज्ञ
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रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर