छत्तीसगढ़ में हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले के बाद से अब शिक्षाकर्मी भी प्राचार्य बन सकेंगे। बिलासपुर के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि सरकार ने पदोन्नति के लिए नियम तय करने में शिक्षा विभाग में पहले से कार्यरत लेक्चरर के हितों को ध्यान में रखा है।
चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज
कोर्ट ने शिक्षक भर्ती और प्रमोशन नियम को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करते कहा है कि प्रमोशन संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद शिक्षा विभाग में आए लेक्चरर एलबी के लिए 30 फीसदी पद आरक्षित किए गए हैं। ऐसे में नियम को असंवैधानिक घोषित नहीं किया जा सकता।
राज्य सरकार की तरफ से उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने कहा कि पंचायत विभाग और स्थानीय निकायों के शिक्षकों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है। सभी विभागों के कर्मचारियों के स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन के बाद उनके हितों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग संवर्ग बनाए गए हैं। सभी संवर्गों को पदोन्नति के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से द्वारिका प्रसाद के मामले में दिए गए फैसले का हवाला भी दिया गया, जिस पर डिवीजन बेंच ने कहा है कि पदोन्नति का अवसर संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है।