Breaking news:फर्जीवाड़े के बाद वसूली के फेर में सात समितियां बर्बाद
करोड़ों रुपए की होनी है रिकवरी, कमीशन का भुगतान नहीं होता, साल दर साल गर्त में जा रही सहकारी समितियां
रायगढ़। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए गठित सहकारी समितियां अब केवल धान खरीदी का ही काम करती हैं। इसमें भी फर्जीवाड़े के कारण समितियां गर्त में जा रही हैं। सात ऐसी समितियां हैं जिन्हें कमीशन मिलता ही नहीं क्योंकि अभी भी करोड़ों रुपए की रिकवरी बाकी है। जिन्होंने घपला किया, वो काली कमाई का उपभोग कर रहे हैं।समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को अब केवल किसान को लाभ पहुंचाने के नजरिए से नहीं देखा जा रहा है। यह अब अफसरों की कमाई का बहुत बड़ा साधन बन चुका है। खरीदी के दौरान समितियों में मनमानी करने की छूट दी जाती है। अवैध खरीदी के कारण जब उठाव के अंत में भांडा फूटने लगता है तो रिकवरी निकाल दी जाती है। जो भ्रष्टाचार करता है वह आराम से अवैध कमाई का उपभोग करता है। वसूली तो समिति के एकाउंट से होती है। अविभाजित रायगढ़ जिले में सात ऐसी समितियां हैं जो अब तक घोटाले से उबर नहीं पाई हैं।जिन प्रबंधकों के कार्यकाल में गड़बड़ी हुई वे तो मौज कर रहे हैं। घपले से कमाई गई रकम से उनकी जिंदगी ऐशोआराम से कट रही है। इसका खामियाजा उस समिति को भुगतना पड़ रहा है। किसी को पांच साल से तो किसी को दो साल से कमीशन ही नहीं मिला है। वसूली का आंकड़ा करोड़ों में है, जो अगले कई साल तक पूरा नहीं हो पाएगा। सूची में उलखर, गाताडीह, जतरी, छिछोरउमरिया, नवापारा-ब, जैमूरा और हालाहुली का नाम शामिल है। इस साल भी इनको कमीशन की राशि नहीं मिली। जो राशि मिलनी थी उसका समायोजन बकाया राशि से कर दिया गया।
किससे कितनी वसूली
उलखर 2,48,51,068
गाताडीह 1,45,16,137
छिछोर उमरिया 9,77,835
नवापारा-ब 14,12,066
जतरी 2,02,47,376
जैमूरा 74,61,008
हालाहुली 28,90,5
धान भी भरवाया, बारदानों का पैसा भी काटा
सहकारी समितियों को खुद सहकारिता विभाग ही लूट रहा है। खाद्य विभाग और मार्कफेड ने मिलकर जो खेल रचा, उसे अंजाम तक सहकारिता विभाग ही पहुंचाता है। धान कमी की भरपाई भी करवाई। इसके बाद बारदाने की कीमत भी कमीशन से काटी। जब मिलर अमानक और फटा बारदाना जमा कर रहे थे, तब समितियों की बात नहीं सुनी गई। अब उन्हीं अनुपयोगी बारदानों की राशि भी समिति के खाते से काट ली गई।