प्रेस रिपोर्ट भुनेश्वर निराला
कुड़ेकेला-धरमजयगढ़। रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकासखंड का एक गांव है केराकोना, जहां पिछले 8 से 10 वर्षों के बीच कई लोग एक ऐसी अनजान बीमारी से लड़ रहे हैं, जिसका शायद कोई इलाज नहीं है। कठोर भाषा में कहा जाए तो मौत ही इलाज है। ऐसा नहीं है कि यह बीमारी किसी के संज्ञान में नहीं है। स्वास्थ्य विभाग से लेकर अन्य जिम्मेदार लोगों को जानकारी है लेकिन इतने वर्षों बाद भी इस गांव के परिवार के कई सदस्य एक अजीब बीमारी से पीड़ित हैं और वह इसकी नियती केवल मौत ही है।इलाज के नाम पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस दिशा में कोई शोध करवाने की दिशा में भी ध्यान नहीं दिया है गया। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि इन लोगों की सेहत पर और स्वास्थ्य पर ध्यान देने वाला कोई भी नहीं है। धरमजयगढ़ के नजदीक के ही एक ऐसा गांव हैं जहां पर रहने वाले कई लोग जवानी में ही बूढ़े हो रहे हैं। यह गांव आपको हैरत में डाल देगा क्योंकि यहां कई परिवार इस परेशानी सेदरअसल, यह अजीबो-गरीब गांव जिसकी हम बात कर रहे हैं ये धरमजयगढ़ के केराकोना की है। इस गांव के लोग कम उम्र में ही लाठी लेकर चलने पर मजबूर हैं और उनकी कमर झुक जा रही है। ऐसे में यहां के पुरुष व औरतें कम उम्र में ही बुढ़ापे का दंश झेल रहे हैं। वहीं दो महिलाओ की हालत तो ऐसी है कि वो चल फिर भी नहीं सकती और बिस्तर पर मौत का इंतजार कर रही है।वहीं मामले को लेकर जब गांव के पीड़ित राठिया परिवार के एक सदस्य ने बताया की लगभग 5 वर्ष पूर्व उसकी कमर अचानक झुकने लगी और दिन-ब-दिन झुकती ही जा रही है, साथ ही उसकी पत्नी और बहू भी इस बीमारी से ग्रसित है। पत्नी बिस्तर से उठ भी नहीं सकती, वहीं बहू की कमर भी रोज झुकती जा रही है। इसके अलावा एक अन्य परिवार को भी इस बीमारी ने जकड़ कर रखा है, जिसमें घर की महिला मृत्यु की कगार पर है।वहीं, इन्हीं के घर की बहू भी समय से पहले बुढ़ापे की गिरफ्त में आ गई है और कमर झुकने लगी है। वहीं जब हमारी टीम ने इनसे बात की तो उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले इनके गांव में एक टीम आई थी, जिसने वहां कैंप लगाने की बात कही थी किंतु दोबारा वह टीम वापस नहीं आई, ऐसे में एक के बाद एक ग्रामीण लगातार इस बीमारी की चपेट में आकर बिस्तर पकड़ते जा रहे हैं और प्रशासन इस ओर कोई संज्ञान नहीं ले रहा है।