वर्तमान में बसपा से केशव चंद्रा है विधायक…
जाति समीकरण में फिट बैठ रहे तीनों दावेदार…
इन तीनों के बीच त्रिकोणीय हो सकता मुकाबला…
तीनों अपने समाज सहित अपने संगठन में रखते है अच्छी पकड़..
जैजैपुर विधानसभा बनने के बाद से एक बार भी नही बना भाजपा ..
जांजगीर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा गर्म होने लगा है आने वाले कुछ दिनों में आचार संहिता लग जायेगा,विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय पार्टी सहित क्षेत्रीय पार्टियां सक्रिय हो गई है,सभी पार्टियों के उम्मीदवार टिकट के लिए बड़े नेताओं से मिलने का दौर चल रहा है,इसी कड़ी में जैजैपुर विधानसभा में भी सियासी सरगर्मी तेज हो गई है यहां वर्तमान में बसपा से केशव चंद्रा विधायक है जो दो बार के विधायक है तीसरी बार भी मजबूती के साथ चुनाव लडने के लिए तैयार है
तो वही कांग्रेस और भाजपा में भी दावेदारों की लाइन लगी है जिसमे कांग्रेस से बालेश्वर साहू और भाजपा से निर्मल सिन्हा का नाम सामने आ रहा है दोनो अपने अपने पार्टी में टिकट के दौड़ में सबसे ऊपर चल रहे है,ये दोनो पार्टी के सभी सर्वे में सबसे आगे है और जितने वाले कैंडिडेट है। क्षेत्र में चर्चा का बाजार गर्म है की कांग्रेस और भाजपा से ये दोनो ही संभावित उम्मीदवार है और बसपा से केशव पेटेंट उम्मीदवार है।आने वाले विधानसभा चुनाव में इन तीनों के बीच ही कड़ा मुकाबला होने वाला है।
जैजैपुर विधानसभा में संगठन की दृष्टि से तीन ब्लाक बम्हनीडीह,हसौद और जैजैपुर है,जिसमे कांग्रेस से टिकट मांग रहे बालेश्वर साहू बम्हनीडीह ब्लाक से है यहां से इनकी पत्नी आशा बालेश्वर साहू जनपद अध्यक्ष है और ये जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि है,बालेश्वर लगातार अपने जनपद के साथ पूरे विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहे है साथ ही बालेश्वर साहू अपने साहू समाज के साथ साथ युवा कांग्रेस के भी जिला अध्यक्ष है,युवाओं के बीच अच्छी पकड़ है, ज्ञात हो की जैजैपुर विधानसभा में साहू समाज का लगभग 45 हजार वोट है जिसे बालेश्वर अपने ओर खींचने का ताकत रखते है जैजैपुर के जानता के जुबान में सिर्फ बालेश्वर साहू को विधायक बनाने की ही बात हो रही है बालेश्वर साहू का अपने पार्टी में अच्छी पकड़ और सबके पहली पसंद के कारण ही ये तीनों ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष भी इनके समर्थन में है,साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच भी इनकी अच्छी मध्यस्थता है,पार्टी का कोई नेता या कार्यकर्ता इनसे नाराज नही है,सभी कांग्रेसी चाह रहे है की बालेश्वर साहू को टिकट मिले,इनको टिकट मिलने पर सभी कांग्रेसी इनसे लिए काम करेंगे जिससे टिकट मिलने पर उनकी जितने की प्रबल संभावना है।
तो वही निर्मल सिन्हा हसौद ब्लाक से है ये यहां बहुत ही सक्रिय है ये सतनामी समाज में अच्छी पकड़ रखते है पूर्व में अविभाजित मालखरौदा विधानसभा से विधायक भी रह चुके है साथ ही भाजपा सरकार में अंतव्यवसायी निगम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं अगर भाजपा से यह उम्मीदवार होते है तो इनके जितने की संभावना ज्यादा है ये अपने सतनामी समाज के वोटों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहेंगे साथ ही संगठन में इनकी अच्छी पकड़ है,इनको टिकट मिलने से पार्टी में बगावत नही होगी,ये बसपा के भी वोट को अपनी ओर खींचने का दम रखते हुए कांग्रेस को टक्कर देंगे,ये क्षेत्र के लोगो में छतीसगढ़िया नेता के नाम से प्रख्यात है,भाजपा अगर निर्मल सिन्हा को टिकट देती है तो निश्चित ही निर्मल सिन्हा के लोकप्रियता, छत्तीसगढीवादी और सामाजिक पकड़ का फायदा भाजपा को यहां मिलेगा।
अब बात करे वर्तमान विधायक और बसपा के पेटेंट प्रत्याशी केशव चंद्रा की, चंद्रा समाज में इनकी अच्छी पकड़ है,ब्लाक में राजनीतिक रूप से लगातार सक्रिय लेकिन लोग इनसे ऊब चुके है लोगो ने जिस मकसद से इन्हे दोबारा विधायक बनाया था ये उनकी उम्मीदों में खरा नहीं उतर पाए अब क्षेत्र में इनके खिलाफ लहर चल रही है ,जैजैपुर की मतदाताओं ने पिछले बार कांग्रेस और भाजपा में दमदार प्रत्याशी नहीं होने के कारण इनको जीता दिया था लेकिन इस बार इनके लिए जीत मुश्किल दिख रही है क्योंकि जनताओ के साथ सात इनके केडर वोट भी इनसे कटते दिख रहे है,पिछले लगातार दो बार से यह विधायक है लेकिन सिर्फ चुनाव के समय ही दिखाई देते है बाकी समय ये गायब रहते है साथ ही इनके ऊपर शराब माफियाओं, रेत माफियाओं सहित कई तरह के असामाजिक तत्वों को संरक्षण का आरोप लगातार लगते आ रहा है,लोगो के बीच लोकप्रियता भी नही है,पिछले दस सालों में नए कार्यकर्ता बनाने में असफल रहे है,इस बार केशव चंद्रा के लिए विधायक की कुर्सी पाना बहुत कठिन दिखाई दे रहा है।
जैजैपुर विधानसभा में इन तीनों नामो के बीच ही मुकाबला होने की चर्चा हो रही है ये तीनों अपने समाज के साथ संगठन में मजबूत दिखाई दे रहे है,अब देखना होगा की क्या भाजपा और कांग्रेस इन दोनो को टिकट देती है ,बालेश्वर साहू और निर्मल सिन्हा दोनो ही अपने सामाजिक वोट को आकर्षित करने का हौसला रखते है,सामाजिक वोट के साथ पार्टी के वोट से ये दोनो गेम चेंजर के रूप में दिखाई दे रहे है अगर दोनो पार्टियां इन लोगो अपना प्रत्याशी बनाती है तो बसपा का जितना मुश्किल हो जायेगा और कांग्रेस या भाजपा का विधायक यहां बनेगा।