रायगढ़ :-जिले के दो बड़े प्रोजेक्ट अमृत मिशन योजना और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम
भले ही कागजों पर पूरा हो गया हो लेकिन इसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा
है। ये प्रोजेक्ट अब तक अधूरे हैं। अमृत मिशन कनेक्शनधारियों को पानी नहीं
मिल पा रहा है। कुछ इलाकों में अमृत मिशन की पहुंच ही नहीं है। वहीं एसटीपी
के तहत केलो नदी में खुलने वाले शहर के नाले-नालियों के गंदे पानी का ट्रीटमेंट
कर उसे उद्योगों को बेचा जाना था, लेकिन केलो नदी में अब भी गंदा पानी गिर
रहा है और जितने गंदे पानी का ट्रीटमेंट हो रहा है उसे बेचने के लिए किसी कंपनी
से अनुबंध नहीं हो सका है।
नगर निगम ने अमृत मिशन योजना के पाइपलाइन विस्तार और इंटरकनेक्ट करने सवा तीन करोड़ का प्रस्ताव अलग-अलग बनाकर भेजा था। पाइपलाइन विस्तार के 1 करोड़ 33 लाख रुपए स्वीकृत हो गया पर 1 करोड़ 90 लाख रुपए के प्रस्ताव के लिए शासन से स्वीकृति नहीं मिली है। नगर निगम के अनुसार 1 महीने के भीतर इसकी भी मंजूरी मिल सकती है। एनजीटी ने सभी नगर निगम को एसटीपी प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट तो नगर निगम ने भेज दी लेकिन बचे हुए नालियों को कनेक्ट करने की योजना अब तक नहीं बनाई। तीन बड़ी नालियों का गंदा पानी नदी में जहर घोल रहा है। छूटी नालियों को जोड़ने प्रस्ताव बनायाः आयुक्त नगर निगम के आयुक्त सुनील कुमार चंद्रवंशी ने बताया कि जो नालियां छूट गई हैं, उसे जोड़ने का प्रपोजल बना लिया गया है। इसके लिए बजट की मांग की है।
एसटीपी से जो पानी नदी में छोड़ रहे हैं, उसके लिए कुछ कंपनियों से बात चल रही हैं। जल्द ही अनुबंध करा लिया जाएगा। तीन बड़ी नालियों से जा रहा केलो में गंदा पानी शहर में नदी के किनारे दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए हैं। जोन 1 में 25 एमएलडी तो जोन 2 में 7 एमएलडी का निर्माण किया गया है। नदी के मिलने वाले नालियों को चेंबर बनाकर जोड़ा गया है। यहां से कनेक्ट गंदा पानी एसटीपी पहुंचता है। जहां गंदे पानी को रिसाइकिल कर वापस नदी में छोड़ा जा रहा है। वहीं जोन 1 में सर्वे की टीम के द्वारा शनि मंदिर से लेकर महामाया घाट के आगे तक तीन नालियों को छोड़ दिया है। इसके बावजूद भी क्षमता से अधिक गंदा पानी एसटीपी पहुंच रहा है।
बची हुई नालियों को जोड़ने के लिए नगर निगम के पास बजट नहीं है। इस तरह नदी में मिल रहा नालियों का गंदा पानी प्लांट में पानी को साफ कर नदी में छोड़ रहे एसटीपी प्लांट बनाने का उद्देश्य नदी को साफ रखना और नालियों के पानी को साफ कर प्लांट को देना।
प्रोजेक्ट को 1 साल से भी अधिक समय हो गया। लेकिन क्षमता से अधिक साफ पानी नदी में वापस छोड़ा जा रहा है। नदी में छोड़ रहे पानी को कंपनी से अनुबंध कराकर पानी से नगर निगम को रेवेन्यू हासिल करना था लेकिन इस संबंध में बात बैठकों तक ही सीमित है। इस बारे में किसी भी कंपनी से अनुबंध नहीं हुआ है। एक साल में कई करोड़ पानी नदी में छोड़ा जा चुका है। इसके एवज में नगर निगम को एक रुपए तक नहीं मिला है।