कोरबा प्रतिष्ठित आध्यात्मिक धर्म गुरु देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि सनातन धर्म पर उंगली उठाने वाले कुएं के मेंढक है, इन्हें सनातन धर्म का पता नहीं। सनातन धर्म के साथ-साथ संविधान का अपमान भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग एवं राजनेताओं को संवैधानिक पदों से हटा देना चाहिए और उनके संवैधानिक पदों पर जाने से आजीवन प्रतिबंध लगा देना चाहिए, ताकि वह कभी संवैधानिक पद पर दोबारा ना बैठ पाए। यहां बताना होगा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे उदयनयी स्टालिन द्वारा सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी करने के बाद राजनेताओं में बयान बाजी का दौर जारी है। आरोप- प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इसी बीच जिले के कटघोरा में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में कथा वाचन करने पहुंचे गुरु देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी देने वाले राजनेताओं पर अपना बयान दिया है।
सप्तदेव मंदिर में शुक्रवार को भादी अमावस्या उत्सव बडे ही धूमधाम से संपन्न हुआ। इस अवसर पर भव्य संगीतमय मंगलपाठ कार्यक्रम का आयोजन किया गया था एवं प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी मंदिर में 200-250 पंजीकृत मंगलपाठी बहनों ने अपने पूरे परिधान नथ, चूडा, चूनडी व सुहाग पिटारी के साथ कार्यक्रम में उपस्थित होकर एक स्वर में लयबद्व होकर मंगलपाठ किया।
उक्त मंगलपाठ कार्यक्रम के लिए कोलकाता के अनिल लाटा एंड पार्टी को विशेष रूप से कोरबा आमंत्रित किया गया था जिनके द्वारा उक्त दिवस को दोपहर तीन बजे से रात आठ बजे तक भव्य संगीतमय मंगलपाठ किया गया जो अत्यंत ही अनुपम एवं मनमोहक था। इस अवसर पर मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित थे जिन्होने कार्यक्रम का पुण्य लाभ अर्जित किया। इस समय मंदिर का पूरा माहौल देखते ही बनता था मानो पूरा मंदिर परिसर ही भक्तिमय हो गया था जिसके रस में पूरे भक्त सराबोर हो गये थे।
कार्यक्रम के विराम के पश्चात महाआरती व भंडारा किया गया। जिसमें मंगलपाठी बहनों के साथ साथ अन्य सैंकडों की संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। श्री सप्तदेव मंदिर परिवार के प्रमुख ट्रस्टी अशोक मोदी ने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रमों का किया जाना हमारे लिए कितना और क्यों आवश्यक है। क्योंकि हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति और हमारे सनातन धर्म की रक्षा के लिये यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हमारी आने वाली पीढी को हमें इस बात को अवश्य रूप से ध्यान दिलाते रहना चाहिये कि समाज में सदैव इस प्रकार के धार्मिक कार्यों के निरंतर किये जाने की आवश्यकता है अन्यथा हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति और हमारा धर्म केवल हम तक ही सीमित रह जायेगा तथा आने वाली पीढ़ी इससे अनभिज्ञ रह जायेगी एवं हमें अपने संस्कार, संस्कृति और धर्म केवल पुस्तक में पढ़ने को मिलेगी। श्री सप्तदेव मंदिर में भादी अमावस्या पर किए गए भव्य संगीतमय मंगलपाठ की सभी ने प्रशंसा की।