समितियों में धान बेचने के लिए किसानों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। दरअसल सुबह से देर शाम तक धान की खरीदी हो रही है। इसके लिए किसान अपनी व्यवस्था के साथ खरीदी केंद्र पहुंचे रहे हैं। लेकिन समितियों में हमाल की कमी से कई काम प्रभावित हो रहे हैं। समिति संचालक सुबह से लेकर देर रात धान की बारियों को व्यवस्थित कर ट्रकों में लोड कर रहे हैं।
दरअसल धान खरीदी जब शुरू हुई तो किसानों ने रुचि नहीं ली। दिसंबर की शुरुआत में बारिश से दो सप्ताह तक किसानों को परेशानी हुई। जब किसान धान बेचना शुरू किया तो समितियों में लिमिट कम होने पर टोकन भी कम कटा। अब जब समितियों में लिमिट बढ़ाई गई तो किसानों की भीड़ एकाएक बढ़ गई है। इससे समितियों में धान की बोरियां रखने तक की जगह नहीं है।
धान बेचने किसानों के पास बचे हैं सिर्फ 13 दिन एक नवंबर से 31 जनवरी तक धान की खरीदी होती है। इस बार पांच लाख एमटी खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक 55 प्रतिशत धान की खरीदी हुई है । बचे दिनों में 45% खरीदी करनी है। बचे 20 दिनों में आधा समय छुट्टी होने के कारण लक्ष्य पूरा कर पाना संभव नहीं है। ऐसे में समितियों के द्वारा धान खरीदी का समय बढ़ने की उम्मीद लगाए हैं।