जशपुर,सन्ना:-बीते रविवार को अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच के नेतृत्व में जिले के खुड़िया क्षेत्र के सन्ना मुख्यालय में हजारों की संख्या में मिशन स्कूल सह चर्च के विरोध में रैली आन्दोलन किया गया था।जिस आन्दोलन में भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता राष्ट्रीय संयोजक पूर्व मंत्री गणेश राम भगत प्रमुख रूप से मौजूद थे।
आपको बता दें कि सन्ना क्षेत्र के खेड़ार ग्राम के भैंसडीपा गांव में करलू कोरवा पिता सुना साय के लगभग 4 एकड़ भूमि पर अवैध रूप से मिशन संस्था के द्वारा स्कूल सह चर्च बनाया गया है जिसकी प्रकरण भी करलू राम के द्वारा बीते छः-सात वर्षों से राजस्व न्यायालय में लगाया गया था जिसके बाद न्यायालय कलेक्टर जशपुर के द्वारा करलू कोरवा के पक्ष में 4 अगस्त को आदेश दिया गया की 15 दिवस के भीतर अधीनस्थ न्यायालय वादग्रस्त भूमि पर अभिलेख दुरस्त करते हुए मौके पर कब्जा दिलाना सुनिश्चित करें।उक्त मामले को लेकर करलू कोरवा लगातार तहसील कार्यालय के चक्कर काटते रहा और इस मामले में तब माहौल बिगड़ने लगा जब लगभग छः माह बीतने के बाद भी तहसीलदार पटवारी के द्वारा राजस्व अभिलेख ना तो दुरस्त किया गया और ना ही अब तक कब्जा दिलाया गया।उक्त मामले में जनजाति सुरक्षा मंच शुरू से लेकर अब तक करलू कोरवा के साथ खड़ा रहा और बीते रविवार को जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक कद्दावर आदिवासी नेता गणेश राम भगत के नेतृत्व में सन्ना मुख्यालय में हजारों की संख्या में जुट कर रैली आन्दोलन प्रदर्शन किया गया जिसमें पूर्व मंत्री ने प्रशासन को चेताते हुए कहा था कि 15 दिन के अंदर कार्यवाही हो नही तो कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेंगे।
उक्त प्रदर्शन में क्षेत्र समाजसेवी पूर्व जनपद उपाध्यक्ष राजू गुप्ता,जिला अध्यक्ष नयु राम भगत, चंद्रदेव ग्वाला,धर्मजागरण प्रमुख दीपक राम,जगमोहन राम,पेट्रोल राम,करलू कोरवा,जगेशवर राम,हेमनाथ भगत, सन्तन यादव,करुणा भगत,राकेश गुप्ता,सल्लू राजवाड़े जैसे कई प्रमुख कार्यकर्ता सामिल थे।उक्त प्रदर्शन के बाद प्रशासन में हड़कम्प मच गया और 48 घण्टे के अंदर बड़ा कार्यवाही करते हुए राजस्व अभिलेख दुरस्त कर दिया गया और उक्त भूमि पर करलू राम कोरवा का नाम भी चढ़ा दिया गया।उक्त भूमि पर नाम चढ़ने के बाद जनजाति सुरक्षा मंच के कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह देखी जा रही है।हालांकि कब्जा की मांग पर अभी भी करलू कोरवा और जनजाति सुरक्षा मंच के कार्यकर्ता अड़े हुए हैं।बहरहाल अब देखना यह होगा कि उक्त मिशन संस्था के खिलाप सरकार और प्रशासन क्या रुख अपनाता है।