प्रेमसिंग डावर
मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाला सबसे बड़ा घोटाला बन चुका है, नर्सिंग कॉलेज खोलकर संचालक व्यापार शुरू कर रहें है, यहां कॉलेज सिर्फ कागजों पर चल रहें हैं, बीते कुछ वर्षों से इस मामले पर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थीं और उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की जॉच सीबीआई द्वारा कराई गईं , जिसमे 169 कॉलेज पात्र पाए गए थे, लेकीन जब एसे मामले सामने आने लगे की 2 से 10 लाख रुपए रिश्वत लेकर CBI के अधिकारियों ने अपात्र कॉलेजों को भी पात्र की श्रेणी में डाला गया, अब इसका खुलाशा हुआ तो उच्च न्यायालय ने 169 कॉलेजों की पुनः जॉच के आदेश दिए हैं,
आदिवासी छात्र संगठन के सचिन रंधावा ने बताया कि इस पुरे मामले में नेताओं से लेकर अधिकारी तक शामिल है, ओर खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है, जब छात्र सन 2020 में प्रवेश लिए थे तब कॉलेज को मान्यता मिली थीं लेकीन अब इसकी जांच हुई तो कहीं कॉलेज नियमो का पालन नहीं कर रहे तो कहीं कॉलेज सिर्फ कागजों पर चल रहें है, शिक्षा को धंधा बनाके बैठे है, आदिवासी अंचलों में स्कॉलर बैच पर प्रवेश लेकर शिक्षा ठेकेदारों द्वारा अधिक नर्सिंग कॉलेज खोलकर व्यापार चलाया जा रहा है, इस मामले में जो सन 2020 से एसे कॉलेज को मान्यता देने में जिनका भी योगदान रहा उन सभी विश्वविद्यालय के अधिकारियों और स्वास्थ शिक्षा मंत्री पर भी कार्यवाही होनी चाहिए , जब पहले ही ऐसे फर्जी कॉलेजों को मान्यता नहीं मिलती तो कोई भी छात्र प्रवेश न लेता कहीं और अपना भाविष्य बनाता, रंधावा ने बताया की जितने भी इस मामले में दोषी है सभी पर कड़ी कार्यवाही की जाएं और सभी छात्रों को जो 2022 से पहले के प्रवेश है परिक्षा करवाई जानी चाहिए, और इंडियन नर्सिंग काउंसिल, और MPNRC और विश्वविद्यालय के सभी मानकों को पुरा कर रहे है वैसे पात्र कॉलेजों द्वारा डिग्री पूरी कराई जाए,