जशपुर बगीचा:- यूं तो छत्तीसगढ़ में सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सुधार लाने विभिन्न योजनाएं लागू की जा रही है, स्कूलों की मरम्मत, डिजिटल क्लास, समेत अन्य कई योजनाएं चलाकर बच्चों को अधिक से अधिक संख्या में सरकारी स्कूलों में दाखिला कराने का प्रयास किया जा रहा है, तथा बच्चों को अधिक प्रोत्साहित कर उनका शिक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है हाल ही में नलेकिन जशपुर में आज भी कई ऐसे विद्यालय हैं जहां कागजों पर तो बच्चों का नाम दर्ज है लेकिन जमीनी स्तर पर देखें तो एक भी बच्चे स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं, आखिर क्या कारण है कि बच्चे विद्यालय आने से कतरा रहे हैं ? या कहें सरकारी स्कूल से नाम हटवाकर अभिभावक अपने बच्चों को किसी निजी विद्यालयों में दाखिला करा रहे हैं ? इस स्कूल में तो ये तो जांच का विषय है। जो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि बच्चे निजी विद्यालयों के मुकाबले सरकारी स्कूलों में नहीं पहुंच रहे हैं ?
हम बात कर रहे हैं जशपुर जिले के बगीचा विकास खंड के ग्राम पंचायत चंपा स्कूल अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला खमडांड की जहां दो शिक्षक पदस्थ हैं सुभाष राम पहाड़िया जो प्रधान पाठक हैं तथा दुसरे झीमन राम पहाड़िया जो सहायक शिक्षक हैं एक रसोइया की भी विद्यालय में पदस्थापना है । विद्यालय में गांव के करीब 10 बच्चों का नाम दर्ज है लेकिन 9 जुलाई मंगलवार को जब आईबीएन ट्वेंटी फोर की टीम दोपहर करीब 12 बजे वहां पहुंची तो विद्यालय में एक भी बच्चे नहीं पहुंचे थे न ही दो शिक्षकों ने किसी भी शिक्षकों की उपस्थिति नहीं थी।
वहां मौजूद रसोइया ने बताया की एक शिक्षक विद्यालय आए हैं लेकिन वे गांव की ओर निकले हैं तथा जो प्रधान पाठक हैं वे अभी तक स्कूल नहीं पहुंचे हैं । इस संबंध में एक ग्रामीण ने बताया की अभी तक बच्चे न ही शिक्षक स्कूल नहीं पहुंचे हैं । तथा प्रतिदिन का यही रवैया है।
सामान्य जानकारी भी गलत
विद्यालय के बरामदा के दीवारों पर जो सामान्य जानकारी दी गई है उस भी आज तक नहीं बदली गई है जबकि प्रतिवर्ष स्कूल की रंगाई पुताई के लिए हजारों, लाखों रुपए आबंटित की जाती है ।
आपको बता दें चार्ट में राष्ट्रपति का नाम प्रणव मुखर्जी, मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, राज्यपाल शेखर दत्त, जिलाध्यक्ष प्रियंका शुक्ला, शिक्षा मंत्री केदार कश्यप, तहसील सन्ना, SDM कुलदीप शर्मा, यहां तक की वहां के सरपंच का नाम भी नहीं बदला गया है ।
शिक्षक कर रहे TC थमाने की बात
मामले में वहां के प्रधान पाठक सुभाष राम पहाड़िया से जानकारी ली गई उन्होंने बताया की पालक बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं, इस परिस्थिति में हम TC काटकर अभिभावकों के हाथों में थमा सकते हैं।
इस मामले से यह प्रतीत होता है की बगीचा विकास खंड के अधिकारी, कर्मचारी या संकुल समन्वयक के द्वारा समय समय पर निरीक्षण नहीं करने का नतीजा है , की आज तक देश के विभिन्न जनप्रतिनिधि , अधिकारियों का का नाम नहीं बदला गया है ।
आप समझ सकते हैं जब शिक्षकों की ऐसी मानसिकता रहेगी तो बच्चे विद्यालय आने से हिचकिचाएंगे ही ?