जशपुर/सन्ना:- कुछ वर्षों से प्रदेश भर में स्वामी आत्मानन्द शासकीय विद्यालय वाहवाही लूटी रही है जिसमें बच्चों को अच्छी और बेहतर निःशुल्क शिक्षा देने की बात कही जा रही है।परन्तु हम आज इसी बड़े नाम वाले स्कूल की बात करने जा रहे हैं जो नाम मात्र का स्वामी आत्मानन्द विद्यालय बना हुआ है।
जहां एक तरफ आज पूरे देश भर में हर्सोल्लास,उमंग,खुशियों के साथ 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है वहीं जशपुर जिला का सबसे बड़ा पाठ क्षेत्र में एक मात्र स्वामी आत्मानन्द शासकीय उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम उ.मा.विद्यालय सन्ना के बच्चों और गणमान्य नागरिकों के साथ साथ आम लोगों में यहां वितरण हुए मिष्ठान को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है।हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में स्कूल प्रांगण में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जहां बच्चों ने तो बढ़ चढ़ कर भाग लिया परन्तु जब घर जाने का समय हुआ तो उन्हें मिष्ठान के नाम पर अधिक मुर्रा,नाम मात्र का बूंदी वितरण कर दिया गया जो तस्वीरों में स्पष्ट झलक रहा भी रहा है।हालांकि बच्चे और ग्रामीण इस स्कूल के मिष्ठान के भरोशे नही भी हैं।
परन्तु जहां कुछ वर्ष पूर्व में राष्ट्रीय पर्व पर मिष्ठान इसी आत्मानन्द स्कूल का नाम करण होने से पूर्व हाई स्कूल सन्ना में भरपूर खुशियों से भरा बूंदी सेव का पैकेट दिया जाता था।जिसे खाने के बाद राष्ट्रीय पर्व का भरपूर आनंद मिलता था। परन्तु इसी स्कूल का नाम करण जब से आत्मानन्द हुआ और कुछ नये शिक्षक और प्रभारी इस स्कूल में पदस्थ हुए तब से विद्यालय में राष्ट्रीय पर्व का पूरा माहौल बदल गया।उक्त मिष्ठान वितरण होने के बाद बच्चों के चेहरे से खुशियां कहीं गुल हो गयी और बच्चे राष्ट्रीय पर्व पर भी मायुष दिखे तो ग्रामीणों ने चर्चा शुरू कर दिया।सन्ना आत्मानन्द स्कूल से अच्छा तो हमारा पूर्व का हाई स्कूल सन्ना ही ठीक था।
खैर ये तो रहा राष्ट्रीय पर्व का मिष्ठान का बात अब हम बात करने जा रहे हैं इस स्कूल के भ्रष्टाचार की जहां सरकार एक तरफ घोषणा करती है कि आत्मानन्द विद्यालय में निःशुल्क बच्चों का एडमिशन होता है और अच्छी शिक्षा दीक्षा दी जाती है।परन्तु स्वामी आत्मानन्द विद्यालय सन्ना के स्कूली बच्चे बताते हैं कि प्राचार्य बहादुर भगत के द्वारा प्रत्येक बच्चों से 50-50रुपये एडमिशन के नाम पर अवैध वसूली की गई है जो एक भ्रष्टाचार होना सिद्ध करता है।दूसरी तरफ आत्मानन्द विद्यालय के नाम पर सरकार द्वारा स्वीकृत लाखों करोड़ों रुपये आखिर कहां जा रहा है क्या सन्ना के आत्मानन्द विद्यालय में सरकार से राष्ट्रीय पर्व मनाने हेतु कोई राशि नही आती.? या आती है तो उसे भी बंदरबांट कर दिया जाता है.? अब ये सारी बातें तो जांच के बाद ही सिद्ध होगा परन्तु इस विद्यालय प्रभारी के द्वारा अवैध रूप से एडमिशन के नाम पर प्रत्येक बच्चे 50-50 रुपये लेने पर और राष्ट्रीय पर्व पर औपचारिक मिष्ठान का भी सही तरीके से वितरण नही होने पर क्या कार्यवाही होती है ये देखने वाला बात होगा या फिर वही बड़े लोगों का संरक्षण पुनः प्राप्त हो जायेगा..?देखिये वीडियो।