धर्मजयगढ़ थाने में रिपोर्ट दर्ज लेकिन नहीं मिला एफ आई आर की पावती!
धरमजयगढ़ पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट पीड़िता ने अब एसपी के पास जाने की बात कही
धरमजयगढ़:– धरमजयगढ़ थाना अंतर्गत टोनही प्रथा को लेकर एक महिला को प्रताड़ित किए जाने का मामला सामने आया है। जहां पर विशेष पिछड़ी जनजाति की महिला ने अपने ही कुछ रिश्तेदारों पर टोनही प्रताड़ना का संगीन आरोप लगाया है।
आपको बता दें,यह गंभीर मामला धरमजयगढ़ क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पुटूकछार के आश्रित गांव धौराभाठा का है। जहां कौशिल्या बाई पण्डो ने बताया कि,बीते तीन चार साल से टोनही टोना कह कर, उनके सगे जेठ,के परिवार के सभी लोग उसे भारी प्रताड़ना दे रहे हैं।
बता दें,कि कौशिल्या बाई पण्डो,पति रामप्रसाद पण्डो उम्र 36 वर्ष एवं रामप्रसाद पण्डो पिता स्व: जयराम पण्डो उम्र 49 वर्ष दोनो पति पत्नी हैं।जिनको गांव में हो पड़ोस में रहने वाले उनके सगे बड़े भाई शिवप्रसाद पण्डो, पत्नी गुलाबी बाई एवं इनके बेटा कांशीराम द्वारा आये दिन पीड़ित परिवार रामप्रसाद पण्डो और उनकी पत्नी को टोनही- टोना कह कर प्रताड़ित किया जाता है। और टोना टोटका को लेकर झगड़ा विवाद करते हैं,साथ ही उन्हें जान से मारने पुरे परिवार को खत्म करने का प्रयास कई बार कर चुके हैं। किन्तु रामप्रसाद एवं उनकी पत्नी के सहनशीलता एवं सुझबुझ से आज तक वे सही सलामत बचे हुए है।
आगे पीडी़ता का कहना है, वैसे तो कांशीराम एवं उनके माता पिता द्वारा कई बार टोना टोटका को लेकर उन्हें प्रताड़ित करते आ रहे हैं। लेकिन बीते दिनांक 18/04/2022 को उनके जेठ बेटे (भतीजा) के पत्नी को बच्चा हुआ था।जो किसी कारणवश उसी रात बच्चे की मृत्यु हो गई। जिसको लेकर भतीजा कांशीराम द्वारा उसके चाचा चाची को टोना टोटका कहते हुए, रात्रि में लगभग बारह बजे को उनके दरवाजे को कुल्हाड़ी से काटना तोड़ फोड़ करना शुरू कर दिया। उस वक्त पीडी़ता कौशिल्या बाई अपने बच्चों के साथ घर में सो रहे थे। कांशीराम का आवाज सुनकर कर कौशिल्या बाई जाग गई। और उस समय उनके पति रामप्रसाद पण्डो घर पर नहीं थे।जिसके कारण से पीडि़ता और ज्यादा डर गई, इधर कांशीराम एवं उनके माता पिता द्वारा कुल्हाड़ी, डंडे लेकर पीड़िता के दरवाजे पर दस्तक दिये। और कहने लगे कि आज हमारा बच्चा को कौशिल्या बाई और उसका घरवाला खा गये है।आज इनको पुरे परिवार का सर्वनाश कर दूंगा। मेरे बच्चों को खा जाते हो कहते हुए आज़ तेरे को और तेरे तीनों बच्चों को मैं मारकर खत्म नहीं कर दिया तो मेरा नाम कांशीराम नहीं।
इन सभी बातों को कौशिल्या बाई ने अपने घर पर से सुनकर डर से कांपने लगी, और जैसे तैसे अपने सोते हुए बच्चों को उठा कर दुसरे तरफ़ के दरवाजे से जान बचाकर भाग कर दुसरे मोहल्ले में परसराम उरांव के घर में छिप गई। उसके अगले दिन 19 तारिख को अपने पति को सुचित की और तत्काल पुलिस स्टेशन धरमजयगढ़ में उपस्थित होकर लिखित एवं मौखिक रूप से रिपोर्ट दर्ज कराई गई। उसके बाद पीड़ित पक्ष वापस अपने घर में आ गये। फिर सप्ताह भर बीतने के बाद भी पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हुई।जिसके चलते प्रताड़ित करने वालों का मनोबल और बढ़ गया। फिर से उन्हें जान मारने की धमकी लगातार देने लगे।
कौशिल्या बाई ने आगे बताया कि घर छोड़ कर तुरंत कदमढो़ढी़ अपने बेटी दामाद के घर चले गए।
उसके बाद 03 मई को पुनः थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने गये। जहां पर एसआई एस. टोप्पो के पास रिपोर्ट दर्ज कराये, उनके द्वारा पीड़ित पक्ष का बयान तो दर्ज कर लिया गया। लेकिन पीड़ित पक्ष ने बताया कि उस दिन भी थाने से न तो रिपोर्ट दर्ज का पावती मिला न आज तक कोई कार्रवाई हुई। इस संबंध में आगे पीड़ित पक्ष का कहना है,कि अगर धरमजयगढ़ पुलिस कार्रवाई नहीं करती है, तो वे जिला एसपी रायगढ़ कार्यालय जाने को तैयार हैं। क्यों कि पीड़ित पक्ष घटना से बहुत ज्यादा परेशान हो चुके हैं।
लेकिन यहां सवाल उठता कि टोनही प्रताड़ना जैसे मामले में पुलिस कोई उचित कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रही है।मात्र मामूली जमानती की धारा लगाकर मामले से अपना पल्ला कैसे झाड़ सकती है?जबकि टोनही प्रताड़ना बहुत ही संगीन मामला है। कानून में इसके लिए बकायदा टोनही प्रताड़ना ऐक्ट लगने का प्रावधान है ,लेकिन स्थानीय पुलिस इसे हल्के में ले रही है।जहां जान लेने हत्या कर देने जैसा भयावह स्थिति उत्पन्न करता है,उसे पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को गंभीरता दिखाने की खास दरकार है।