पत्थलगांव/जशपुरनगर :- छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पत्थलगांव क्षेत्र अंतर्गत अतिक्रमण का शिकार हो रहे वनभूमि को बचाने के लिए दो सौ से अधिक ग्रामीण एकजुट हो कर कलेक्टर डा रवि मित्तल से गुहार लगाने के लिए जशपुर पहुंचे। ग्रामीणों ने आरक्षित वन क्षेत्र में एक परिवार विशेष को पट्टा दिये जाने का विरोध करते हुए पट्टा तत्काल निरस्त करने की चेतावनी दी है।
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वहीं, पूरा मामला जिले के पत्थलगांव ब्लाक के महेशपुर का है। ग्रामीणों ने बताया कि महेशपुर और झिमकी के बीच में स्थित आरएफ 984 लगभग 329 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इस वन क्षेत्र में घना जंगल हुआ करता था। इतना ही नही वन विभाग ने यहां नीलगिरी और सागौन के पौधों का रोपण भी किया था। लेकिन बीते कुछ वर्षो में झिमकी के कुछ लोगों ने इस जंगल के हरे भरे पेड़ों को काट कर,जेसीबी की सहायता से खेत बना दिया।
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दरअसल, ग्रामीणों का आरोप है कि जंगल में बनाए गए स्टाप डेम को भी जानबूझ कर क्षतिग्रस्त किया गया है। ग्रामीण तरूण यादव,अधीन साय,कलेश्वर ने बताया कि इस उजड़े हुए जंगल में फिर से हरियाली लाने के लिए वे वर्ष 2021 से लगातार वन और राजस्व विभाग के अधिकारियों के चक्कर काट रहें हैं। लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि इस जमीन के रिकार्ड में भी भू माफिया ने अधिकारियों के साथ मिली भगत कर हेरफेर कर लिया है। वनविभाग का रिकार्ड में यह जमीन आरक्षित वन के रूप् मे दर्ज है वहीं राजस्व विभाग इसे अपने अधीन की भूमि होने का दावा कर रहा है। ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौपे गए ज्ञापन में बताया कि ग्राम पंचायत महेशपुर ने इस जमीन को आरक्षित जंगल के रूप् में रहने देने का प्रस्ताव पास किया है।
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ग्रामीणों ने कहा जारी रखेगें संघर्ष
फिलहाल, कलेक्टर कार्यालय पहुंचे महेशपुर के ग्रामीणों ने कहा कि वे किसी भी कीमत में जंगल को बचा कर रहेगें। उन्होनें कहा कि वे बीते चार साल से इस मुद्दे को लेकर संघर्ष कर रहें हैं। लेकिन अधिकारी सिर्फ जांच करके मामले को टाल रहे हैं। अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं निकला तो वे जंगल सत्याग्रह जैसे आंदोलन के रास्ते पर जा सकते हैं।
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रिपोर्टर- गजाधर पैंकरा, जशपुर