जशपुर:- जशपुर जिले में चौथी कक्षा की छात्रा को शिक्षिका द्वारा प्रताड़ित किए जाने का मामला सामने आया है।प्रताड़ना भी इस कदर कि छात्रा अब चलने में असमर्थ हो गई है। ईलाज के बावजूद कोई सुधार नहीं है।इस गलती के बाद पूरे मामले में खबर यह है कि स्कूल प्रबंधन बच्ची के ईलाज का खर्च उठा रहा है पर अपनी गलती स्वीकार करने से अब भी बचता नजर आ रहा है।
पूरा मामला है जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के एक निजी स्कूल का जो स्वामी विवेकानंद पब्लिक स्कूल के नाम से घोरडेगा में संचालित है।
मामले में जब चाईल्ड लाईन की टीम पीड़ित बच्ची के घर पहुंची तो सारा मामला सामने आ गया।जो बातें सामने आईं वे चौंकाने वाली थीं।दरअसल छात्रा प्रश्नोत्तर याद करके स्कूल नहीं गई थी जिसपर शिक्षिका पद्मनी चक्रवर्ती ने नाराजगी जाहिर की और दो सौ बार उठक बैठक करने का आदेश दे दिया। बच्ची पहले से शारीरिक रुप से कमजोर थी।उसने जैसे तैसे 70 बार उठक बैठक किया जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई।
बच्ची की हालत ज्यादा बिगड़ती इससे पहले उसका ईलाज का जिम्मा स्कूल प्रबंधन ने के लिया और मामला शांत कर दिया गया।अब जब बच्ची चलने में असमर्थ हो गई तो बातें चाईल्ड लाईन तक पहुंची और आनन फानन में बच्ची के उच्च स्तरीय ईलाज कराए जाने की बात स्कूल प्रबंधन द्वारा की जा रही है।हांलाकि बच्ची के परिजन अब भी कुछ बोलने से बच रहे हैं।अगस्त में हुई इस घटना के बाद से बच्ची चलने में असमर्थ है।
बच्ची की मां का कहना है कि उनकी बच्ची पहले अच्छे से चल पाती थी।अब वह नहीं चल पा रही।उनका कहना है कि उनकी बच्ची का ईलाज हो जाए वह पहले जैसे चलना शुरु कर दे।वही स्कूल प्रबंधन मामले से साफ इंकार कर रहा है।
मामले में चाईल्ड लाईन ने अपनी जांच शुरु कर दी है।स्कूल के प्रिंसिपल व अन्य लोगों को जांच के लिए बुलाया गया है।बीईओ मनीराम यादव ने बताया कि घटना की जांच कराई जा रही है।बच्ची के माता पिता ने घटना से इंकार किया है।अन्य तथ्यों के सामने आने पर कार्यवाही की जाएगी।
बहरहाल निजी स्कूलों की मनमानी चरम पर है जहां मनमाने तरीके से बच्चों को ट्रीट किया जाता है जहां शिक्षा विभाग के दिशा निर्देशों का पालन तक नहीं होता।सबसे बड़ी बात यह कि जिम्मेदार अधिकारी भी निजी स्कूलों का दौरा नहीं करते जिसके कारण ऐसी घटनाएं सामने आती हैं।
नाबालिग बच्चों से जुड़े उक्त मामले में जांच बयान का अधिकार चाईल्ड लाईन व बाल कल्याण समिति के पास है लिहाजा इस संवेदनशील मुद्दे पर स्वतंत्र रुप से बच्चों के बयान लेकर संबंधित शिक्षिका व स्कूल प्रबंधन पर सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
जिले के कलेक्टर डॉ रवि मित्तल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच की बात कही है।